नवाब साहब क्यों लेट गए? लेखक ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की ? वह किस बात पर गौर कर रहा था?
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नवाब साहब खीरे को काटने की तैयारी और इस्तेमाल की प्रक्रिया से थककल लेट गए। लेखक ने मन ही मन सर हिला कहा कि यह है खानदानी तहजीब, नफासत और नजाकत।
लेखक नवाब साहब द्वारा खीर काटने और उसको काटकर उसकी सुगंध को केवल सूंघकर मात्र से स्वाद की कल्पना करके संतुष्ट हो जाने की प्रक्रिया को बड़े गौर से देख रहा था। तब लेखक के ज्ञान चक्षु खुल गए। उसे पता चला की खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना मात्र से ही पेट भर जाने और डकार आ सकती है तो फिर वह भी बिना विचार घटना और पात्रों की इच्छा मात्र से कहानी की रचना कर सकता है।
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