नवाब साहब खीरे की फाको को संतृष्ण दृष्टि से क्यों देखा?
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नवाब साहब ने खीरे को संतृष्ण दृष्टि से इसलिए देखा क्योंकि वह लेखक को अपने लखनवी अंदाज की शान और शौकत दिखाना चाहते थे। वे ये स्पष्ट रूप से ये दिखावा कर रहे थे कि केवल देखने और सुँघने से ही उनका पेट भर गया।
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