नवीकरणीय संसाधन किन्हें कहते हैं ?
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पानी के दुरुपयोग को कैसे रोका जा सकता
जंगल के संरक्षण के लिए आपके क्या सुझाव हैं
अविष्य के लिये संसाधन मंाश्रा को नमी हैं
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Explanation:
जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है।
पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं।[1] पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है।[2] शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है।
मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन है क्योंकि जल चक्र में प्राकृतिक रूप से इसका शुद्धीकरण होता रहता है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है और जैसे-जैसे विश्व में जनसंख्या में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है। पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) जल अधिकार के रूप में जाना जाता है।[3]
धरातलीय जल
श्योक नदी और उसकी घाटी में जल प्रवाह
धरातलीय जल या सतही जल पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला पानी है जो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में ढाल का अनुसरण करते हुए सरिताओं या नदियों में प्रवाहित हो रहा है अथवा पोखरों, तालाबों और झीलों या मीठे पानी की आर्द्रभूमियों में स्थित है। किसी जलसम्भर में सतह के जल की प्राकृतिक रूप से वर्षण और हिमनदों के पिघलने से पूर्ति होती है और वह प्राकृतिक रूप से ही महासागरों में निर्वाह, सतह से वाष्पीकरण और पृथ्वी के नीचे की ओर रिसाव के द्वारा खो जाता है।
हालाँकि कि किसी भी क्षेत्रीय जल तंत्र में पानी का प्राकृतिक स्रोत वर्षण ही है और इसकी मात्रा उस बेसिन की भौगोलिक अवस्थिति और आकार पर निर्भर है। इसके अलावा एक जल तंत्र में पानी की कुल मात्रा किसी भी समय अन्य कई कारकों पर निर्भर होती है। इन कारकों में शामिल हैं झीलों, आर्द्रभूमियों और कृत्रिम जलाशयों में भंडारण क्षमता; इन भण्डारों के नीचे स्थित मिट्टी की पारगम्यता; बेसिन के भीतर धरातलीय अपवाह के अभिलक्षण; वर्षण की अवधि, तीव्रता और कुल मात्रा और स्थानीय वाष्पीकरण का स्तर इत्यादि। यह सभी कारक किसी जलतंत्र में जल के आवागमन और उसके बजट को प्रभावित करते हैं।
मानव गतिविधियाँ इन कारकों पर एक बड़े पैमाने पर प्रभाव डाल सकती हैं। मनुष्य अक्सर जलाशयों का निर्माण द्वारा बेसिन की भंडारण क्षमता में वृद्धि और आद्रभूमि के जल को बहा कर बेसिन की इस क्षमता को घटा देते हैं। मनुष्य अक्सर अपवाह की मात्रा और उस की तेज़ी को फर्शबन्दी और जलमार्ग निर्धारण से बढ़ा देते हैं।