'नव प्रभात कविता के आधार पर प्रातःकाल के मनोहारी दृश्य का वर्णन अपने शब्दों में लगभग 50 से 70 शब्दों
के अंदर लिखें।
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ch नव प्रभात
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लो बीत गया ये साल भी,
लिए खट्टी-मीठी यादें।
हो रहा आगाज़ नव प्रभात का,
लिए नयी सौगातें।
उंमिष हो उठा है मन मेरा,
स्फूठित हो रही कलियाँ नयी,
है मधुर सुरों से गीत सजा,
मन के उपवन में तान छिड़ी।
हर वर्ष की भाँति इस बार भी,
कई सपने संजोये रखा है,
हो रहा अभ्युदय नए वर्ष का,
इक नयी रागिनी देखा है।
है हुआ कहाँ उद्देश्य वो पूरा,
जो बीती रैना देखा था।
व्याकुलता भर देते हैं'
कोरे कागज़ पर जो लेखा था।
अब नई बेला जो आई है,
उन्मुक्त हो गया विकल मन।
विचारों में हो रही क्रांति,
हटने लगा है आच्छादन।
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