Hindi, asked by honeykumari2031, 4 months ago

नया रास्ता के पात्रों का चरित्र चित्रण​

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Answered by Ramneek10
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मीनू:- मीनू इस उपन्यास की मुख्य नायिका और दयाराम जी की पहली संतान है। पढ़ी लिखी, स्वाभिमानी, दयालु, समझदार, स्वाबलंबी लड़की है । वह एक सफल वकील बनती है। समाज के रीति-रिवाजों के विरुद्ध जाकर व मन लगाकर पढ़ाई करती है।

दयाराम जी:- दयाराम जी मीनू के पिता है। वे से बहुत ही दयालु है और ईश्वर में विश्वास रखते हैं। अपने परिवार से अत्यधिक प्रेम करते हैं और उसके लिए समाज के रीति-रिवाजों को तोड़ने को भी तैयार हो जाते हैं। जो समाज लड़कियों की पढ़ाई के विरुद्ध है उस समाज के विरुद्ध जाकर वे अपनी बेटी को शिक्षित करते हैं और उन्हें अपनी बेटी पर गर्व होता है।

दयाराम जी की पत्नी:- दयाराम जी की पत्नी बहुत ही समझदार ग्रहणी है। वे अपने बच्चों की बहुत चिंता करती है और हमेशा उनकी खुशी के बारे में सोचती है। वे कुछ वर्ष पहले मीनू के वकील बनने के सपने के विरुद्ध थी किंतु अब वे स्त्री शिक्षा में विश्वास रखती हैं और मीनू का सपना पूरा होने की प्रार्थना करती है। बुआ जी का आशा की शादी में मीनू का अपमान करने पर वे मीनू का साथ देते हैं। उसके लिए बहुत चिंता करती हैं और उसे हमेशा सही राह पर चलने की प्रेरणा देती है।

नीलिमा:- मीनू की प्रिय सहेली। हमेशा मीनू को प्रोत्साहित करती है। उसने मीनू के साथ ही एम ए की परीक्षा पास की और अमित के मित्र सुरेंद्र से विवाह होता है। उसे इस बात का ज्ञात नहीं था की अमित ने ही मीनू को अस्वीकृत किया है और वह अमित के विषय में हर बात उसे बता देती है जिससे मीनू के हृदय में अमित के लिए जो घृणा की भावना थी वह चली जाती है।

रोहि:- मीनू का छोटा भाई, दयाराम जी का पुत्र। वह एक सफल इंजीनियर बनता है। वह एक अच्छा बेटा और भाई है। अपने बेटे और भाई होने का फर्ज बहुत अच्छे से निभाता है।

आशा:- आशा मीनू और रोहित की छोटी बहन दयाराम जी की छोटी पुत्री है। वह दिखने में अपनी बहन से अधिक सुंदर है। एक चंचल लड़की। उसके अंदर बचपना है। अपनी बहन मीनू से बहुत प्यार करती है। उपन्यास के प्रारंभ में वह इंटर की छात्रा थी। मायाराम जी और उनका परिवार यह कहते है कि वह अमित का विवाह मीनू से ना करा कर आशा से करने को तैयार हैं। वे यह एक बहाना देते हैं मीनू को ठुकराने का। वे जानते थे कि दयाराम जी मीनू से पहले आशा का विवाह नहीं करेंगे। किंतु कुछ वर्ष पश्चात जिम मीनू अपनी वकालत की परीक्षा दे रही थी तभी उसकी बहन आशा का विवाह पहले हो जाता है और उसके विवाह में सारी स्त्रियां मीनू के अविवाहित होने पर उसे ताने देती हैं। आशा एक सफल ग्रहणी सिद्ध होती है।

अमित:- मायाराम जी का बेटा। दहेज का विरोधी। वह एक साफ दिल का पुरुष है जो मीनू की पढ़ाई से प्रभावित होकर उसे चाहने लगता है‌‌। उसके रंग रूप से ज्यादा वह उसके दिल का प्रेमी था। किंतु अपनी मां की वजह से अपने दिल की बात किसी के समक्ष नहीं रख सका और अंदर ही अंदर टूट जाता है। वह एक ऐसी लड़की से विवाह करना चाहता था जो विवाह के बाद उसके माता-पिता के साथ रहे। इस कारण से वे सरिता का विवाह प्रस्ताव अस्वीकार करता है और देर से ही सही उसे मीनू का साथ मिल जाता है।

मायाराम जी:- अमित और मधु के पिता। दहेज प्रथा के सख्त विरोधी। किसी अमीर घर की बेटी से विवाह करा कर अपने बेटे का सौदा नहीं करना चाहते थे। उन्हें मीनू अपने बेटे के लिए उचित लगती है किंतु अपनी पत्नी की बातों में आकर उसका प्रस्ताव अस्वीकार करते हैं और मेरठ के ही एक सेठ धनीमाल जी की पुत्री सरिता को देखने चले जाते हैं। किंतु जब उन्हें पता चलता है की सरिता दहेज देकर अमित के साथ अलग रहने की मांग कर रही है तो वे उसका विवाह प्रस्ताव अस्वीकार करते हैं और मीनू के साथ उन्होंने जो किया उसके लिए दयाराम जी से क्षमा मांग कर फिर से विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। तब तक मीनू एक सफल वकील बन गई थी और वह विवाह के लिए हां कहती है।

अमित की मां:- मायाराम जी की पत्नी, अमित और मधु की मां। वे एक लालची स्त्री है और धनीमाल जी के पांच लाख रुपए दहेज के लालच में आकर अपने पति और बेटे की बात ना मानकर मीनू का विवाह प्रस्ताव अस्वीकार करती है। किंतु जब उन्हें पता चलता है कि सरिता विवाह के बाद उनके साथ नहीं रहेगी तो वे उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं करती। कुछ वर्षों बाद जब अमित का विवाह नहीं हो पाता है तो वे अपने निर्णय पर पछताती हैं। जब अमित का एक्सीडेंट होता है तब उनकी मुलाकात फिर से मिनू से होती है जो अमित से मिलने आई थी और अब एक वकील बन गई थी। उन्हें घर में अकेलापन महसूस होता है। क्योंकि मधु रोज कॉलेज जाती थी अमित और उसके पिता काम पर जाते थे और वे घर में अकेली रह जाती थी।

मधु:- मायाराम जी की पुत्री और अमित की छोटी बहन। भाई के विचारों से सहमत है और स्त्री शिक्षा मैं विश्वास रखती है। उसे भी मीनू पसंद आती है किंतु छोटी होने के कारण अपने माता-पिता के सामने भाई का समर्थन नहीं कर पाती।

धनीमाल जी:- धनीमाल जी मेरठ के बड़े सेठ और सरिता के पिता है। उन्होंने अपनी दो बेटियों का विवाह बहुत धूमधाम से किया था और अब सरिता का विवाह अमित से करना चाहते हैं। इसके लिए वह पांच लाख रुपए दहेज और अमित और सरिता की रहने के लिए एक अलग फ्लैट देना चाहते हैं। विवाह करने के लिए उनकी यही शर्त है कि अमित मायाराम जी के साथ नहीं रहेगा।

सरिता:- धनीमाल जी की छोटी पुत्री। उसकी रुचि पेंटिंग और कार ड्राइविंग में है। उसने बी ए द्वितीय श्रेणी से पास किया है और वह घर के काम नहीं जानती। वह कहती है कि शादी के बाद भी घर के सारे काम वो नौकरों से करवाएगी और अमित के माता-पिता से दूर रहना चाहती है। इसी कारण उसका विवाह प्रस्ताव अस्वीकार किया जाता है।

सुरेंद्र:- सुरेंद्र अमित के प्रिय मित्र और नीलिमा के पति हैं। वे एक अच्छे मित्र और अच्छे पति है।

माया:- मीनू के हॉस्टल की सहेली। वे उसका बहुत अच्छे से ध्यान रखती है। बुखार होने पर उसके लिए दवाइयां लाती है और मां की तरह उसका ख्याल रखती है।

Answered by seetamaurya1985
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Explanation:

i am satisfied by the above answer

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