Hindi, asked by neelkarnavat123, 10 months ago

नया रास्ता उपन्यास से क्या संदेश प्राप्त होता हैं

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Answered by shishir303
74

“नया रास्ता” उपन्यास ‘सुषमा अग्रवाल’ द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध उपन्यास है।

इस उपन्यास में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर चोट की गयी है और इस प्रथा से प्रभावित युवतियों इसके कुप्रभावों से निकल आने के लिये एक प्रेरणा दी गयी है।

उपन्यास की मुख्य पात्र मीनू एक सांवले रंग की मध्यवर्गीय परिवार की युवती है, जो उच्च शिक्षित और अन्य सभी कार्यों कुशल युवती है। परन्तु अपने सांवले रंग के कारण उसमें एक हीन भावना सी रहती है। उसका विवाह अमित नाम के लड़के से तय होता परंतु अधिक दहेज न दे पाने के कारण लड़के वाले मना कर देते हैं।

ऐसी स्थिति में मीनू अपने लिये एक नया रास्ता चुनती है और वो विवाह न करने का फैसला करती है वो वकालत की परीक्षा पास करती है और एक अच्छी वकील बन जाती है। जीवन के एक मोड़ पर वही लड़का उसे दुबारा फिर मिलता है, जिसके घरवालों ने मीनू के रिश्ते के लिये मना कर दिया था। उन दोनों में गिले शिकवे दूर हो जाते है और दोनों विवाह करने का फैसला करते हैं।

ये उपन्यास हमें ये संदेश देता है कि महिला कोमल है कमजोर नही। मीनू के साथ जो बुरा घटित हुआ उस विषम परिस्थिति में भी वो टूटी नही बल्कि उसने वो जीवन में एक नया रास्ता बनाने का फैसला करती है और स्वयं की एक अपनी पहचान बनाती है। आत्मनिर्भर बनती है। वो युवतियों के लिये एक संदेश देती है कि स्त्री को अबला नही सबला बनना है। ये उपन्यास स्त्रियों के लिये एक नवचेतना और नवप्रेरणा प्रदान करता है।

Answered by kshitijagarwal007
3

Answer:

Explanation:

“नया रास्ता” उपन्यास ‘सुषमा अग्रवाल’ द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध उपन्यास है।

इस उपन्यास में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर चोट की गयी है और इस प्रथा से प्रभावित युवतियों इसके कुप्रभावों से निकल आने के लिये एक प्रेरणा दी गयी है।

  • उपन्यास की मुख्य पात्र मीनू एक सांवले रंग की मध्यवर्गीय परिवार की युवती है, जो उच्च शिक्षित और अन्य सभी कार्यों कुशल युवती है। परन्तु अपने सांवले रंग के कारण उसमें एक हीन भावना सी रहती है। उसका विवाह अमित नाम के लड़के से तय होता परंतु अधिक दहेज न दे पाने के कारण लड़के वाले मना कर देते हैं।
  • ऐसी स्थिति में मीनू अपने लिये एक नया रास्ता चुनती है और वो विवाह न करने का फैसला करती है वो वकालत की परीक्षा पास करती है और एक अच्छी वकील बन जाती है। जीवन के एक मोड़ पर वही लड़का उसे दुबारा फिर मिलता है, जिसके घरवालों ने मीनू के रिश्ते के लिये मना कर दिया था। उन दोनों में गिले शिकवे दूर हो जाते है और दोनों विवाह करने का फैसला करते हैं।

ये उपन्यास हमें ये संदेश देता है कि महिला कोमल है कमजोर नही। मीनू के साथ जो बुरा घटित हुआ उस विषम परिस्थिति में भी वो टूटी नही बल्कि उसने वो जीवन में एक नया रास्ता बनाने का फैसला करती है और स्वयं की एक अपनी पहचान बनाती है। आत्मनिर्भर बनती है। वो युवतियों के लिये एक संदेश देती है कि स्त्री को अबला नही सबला बनना है। ये उपन्यास स्त्रियों के लिये एक नवचेतना और नवप्रेरणा प्रदान करता है।

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