ncert class 10 Hindi Zen ki den summary
Answers
Answered by
95
Answer:
Here's Your Ans Sis..
'झेन की देन' भाग में लेखक 'झेन' से प्रेरित हैं। जापानी लोगों ने अपनी संस्कृति में बदलाव नहीं किए हैं। यही संस्कृति उनके जीवन को नई गति, ताज़गी और शांति प्रदान करती है। 'झेन' जापान के लोगों की चाय पीने की एक पद्धति है। इसमें कुछ समय गुज़ारकर जापानी लोग अपनी व्यस्तता से भरे जीवन में शांति और चैन के क्षण पा लेते हैं। चाय पीते समय लेखक ने जो भी अनुभव किया है, वह उस अनुभव से अन्य भारतीयों को भी परीचित कराना चाहते हैं। इस चाय पद्धति में वातावरण में इतनी शांति छुपी है, जो उन्हें जीवन की हर चिंता से मुक्त कर देती है। भूत, भविष्य और वर्तमान को मिथ्या साबित कर जीवन के महत्व को दर्शाती है। झेन के कारण लेखक स्वयं को सभी कालों से मुक्त पाता है।
Explanation:
Plz mark it as brainliest....
Answered by
17
कृपया अध्याय के सभी प्रमुख बिंदुओं को शामिल करते हुए एक संक्षिप्त सारांश प्राप्त करें:
Explanation:
- उस समय लेखक जापान में थे। उसने अपने एक परिचित से मूल निवासियों में सबसे आम बीमारियों के बारे में पूछा, और उसके मित्र ने उत्तर दिया, "मानसिक।"
- जापान में, मनोरोगियों की आबादी 80% है। जब लेखक ने तर्क के बारे में पूछा, तो उनके परिचित ने कहा कि जापानी जीवन की गति में काफी वृद्धि हुई है।
- पैदल चलने की बजाय लोग दौड़ पड़े। पूरे महीने का काम एक दिन में करने का प्रयास करें। जब एक 'स्पीड' इंजन को मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया जाता है, तो यह 1,000 गुना तेज चलने लगता है। एक क्षण ऐसा आता है जब दिमाग का तनाव बढ़ जाता है और पूरा इंजन टूट जाता है इस कारण मानसिक रोगी बढ़ गए हैं।
- शाम को उन्हें जापानी दोस्तों द्वारा 'टी सेरेमनी' में ले जाया गया। चाय की चुस्की लेने के तरीके को चा-नो-यू कहते हैं।
- यह छः मंजिला संरचना थी जिसमें छत पर सुंदर हरियाली, गत्ते की दीवारों और चटाई-फर्श पर थी।
- उसने अपने हाथ और पैर बाहर मिट्टी के बर्तन में धोए जो पानी से भरा था। तौलिये से साफ करने के बाद मैं अंदर गया।
- अंदर बैठे 'चाजिन' ने उठकर उन्हें प्रणाम किया और बैठने की जगह दिखाई। उसने आग लगा दी और उसके ऊपर एक चायदानी बैठ गई।
- अक्सर हम भूतकाल में जीते हैं या फिर भविष्य में परन्तु ये दोनों काल मिथ्या हैं। वर्तमान ही सत्य है और हमें उसी में जीना चाहिए। चाय पीते-पीते लेखक के दिमाग से दोनों काल हट गए थे। बस वर्तमान क्षण सामने था जो की अनंतकाल जितना विस्तृत था। असल जीना किसे कहते हैं लेखक को उस दिन मालूम हुआ
Similar questions