Hindi, asked by smnsmn7692, 1 year ago

ndiyo k labh per 20 lines hindi mai

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Answered by Anonymous
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भाषा को सुदृढ़ बनाने के लिए आवश्यक है कि आप स्वयं लिखने का प्रयास करें। अपने विचारों को लिखिए। हम आपकी सहायता के लिए आपको कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं। इन्हें समझकर स्वयं इन्हें विस्तारपूर्वक लिखिए। इस तरह से आप अपने विचारों को एकरूपता दे पाएँगे और साथ ही भाषा में आपकी पकड़ मजबूत होगी। आरंभ में छोटे-छोटे वाक्यों में लिखने का प्रयास कीजिएः

देश कोई भी हो परन्तु किसी भी सभ्यता के पनपने के लिए नदियों का होना आवश्यक है। एक नदी मनुष्य के जीवन को सुखमय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नदियों के कारण मनुष्य को उपजाऊ भूमि प्राप्त होती है, जिससे मनुष्य जाति फलती-फूलती है। मनुष्य के दैनिक जीवन में पानी का महत्वपूर्ण स्थान है। उसे पीने से लेकर, नहाने तक में पानी की आवश्कता होती है। पानी के कारण ही वह जीवित है। यह मनुष्य के लिए ही नहीं बल्कि जीव-जन्तु, पेड़-पौधों के लिए भी आवश्यक तत्व है। इसकी आपूर्ति नदियों से ही होती है। भारत में तो नदियों के इसी गुण के कारण उसे माता की संज्ञा दी गई है। माता जिस तरह से बच्चे का लालन-पालन करती है, नदी भी वैसे ही मनुष्य का लालन-पालन करती है। मनुष्य के मुंडन से लेकर उसकी मृत्यु तक नदी कहीं न कहीं माँ के समान उसके साथ रहती है। आज नदियों में जल कम हो रहा है, जिसके कारण लोगों को जल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसके कारण सभी स्थानों पर हाहाकार मचा हुआ है। इन जीवनदायी स्रोतों को मनुष्य ने अपने स्वार्थ से सोख लिया है। अतः हमें चाहिए कि नदियों के महत्व को समझते हुए इन्हें बचाएँ। वरना एक समय ऐसा आएगा कि मनुष्य स्वयं ही मृत्यु की कगार पर आ खड़ा होगा।


Shivyaa: woah thnx
Anonymous: my pleasure dear
Shivyaa: ohh :)
Anonymous: ^_^
Answered by Shivyaa
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हम नदी के पानी को पवित्र कलश में भरकर पानी को धन्यवाद देने के लिए प्रार्थना करते हैं क्योंकि पानी वरदान है; यह जीवनदाता और जीवन को बनाए रखने वाला है।

पत्थरों, बजरी, जड़ी-बूटियों और पौधों को छूकर बहते पानी के कारण नदी के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुण बढ़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, गंगा नदी के निश्चित औषधीय गुण पहाड़ों की हिमालय श्रृंखला में पाई जाने वाली औषधीय जड़ी-बूटियों की उपस्थिति से बढ़ते हैं। इस तरह के पानी में लाभकारी रेडियोधर्मिता सूक्ष्म स्तर पर पाई जाती है।

आध्यात्मिक स्तर पर यह माना जाता है कि पानी की स्वच्छ करने की शक्ति आंतरिक बाधाओं को दूर करने में सहायता करती है। जब हम नदी में डुबकी लगाते हैं तो पानी हमारे नकारात्मक विचारों को अवशोषित कर लेता है। जब ऋषि नदियों के किनारे तपस्या करते हैं तो नदी उन नकारात्मक विचारों से मुक्त हो जाती है और पानी पवित्र हो जाता है। नदी का पानी वह पवित्र मार्ग है जो पापियों को पवित्र पुरूषों और महिलाओं के साथ जोड़ता है और नदी के किनारे उन लोगों की आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाते हैं जो यहां ध्यान लगाते हैं।

यह आवश्यक है कि नदी के पानी में उपस्थित भौतिक गुणों को पवित्र रखा जाए जिससे कि गहन आध्यात्मिक गुण प्रकट हो सकें। इस तरह का आपसी संबंध पंतंजली आष्टांग योग द्वारा समझाया गया है। देवत्व जगाने के लिए केवल आठ प्रकारों की स्वच्छता आवश्यक है, नदियों के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को उनके प्राचीन रूप में बनाए रखना आवश्यक है ताकि हमें हमारे पापों से मुक्ति दिलाना उनके लिए संभव हो सके।

हमें गरीबों और कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। हालांकि, अर्थ या भौतिक स्तर से जुड़ा हुआ आर्थिक विकास या गतिविधियां इस तरह से अपनाई जानी चाहिए कि वह धर्म की स्थापना करते हुए लंबे समय तक सामाजिक कल्याण बनाए रखे और पर्यावरण की सुरक्षा करें। फिर इस तरह से सेवा क्षेत्र का विकास करें कि वह कम से कम ऊर्जा का प्रयोग करके पर्यावर्णीय सद्भावना के साथ तालमेल बिठा सके। प्रकृति की यात्राएं उन विद्यार्थियों और रोगियों के लिए लाभकारी रहेंगी जो प्राकृतिक जल निकायों और उनके परिप्रदेशों का प्रत्यक्ष रूप से अनुभव ले सकते हों।

नदियों से शहरी इलाकों में होने वाली पेयजल आपूर्ति स्वयं नदी को खतरे में डालने की कीमत पर नहीं की जानी चाहिए। इसकी एक सौम्य व्यवस्था होनी चाहिए, जैसे कि सूर्य नदियों और झीलों से पानी लेकर उसे वर्षा में परिवर्तित करता है, इस तरह से, किसी प्रकार की बर्बादी नहीं होती। मानसून के दौरान जब नदियों का बहाव तेज़ हो जाता है तो पानी की कुछ मात्रा का रास्ता बदलकर उसे बंद जलाशयों में संग्रहित किया जा सकता है जिसका इस्तेमाल पेयजल के रूप में किया जा सके और सर्दी-गर्मी के महीनों में नदी के बहाव में बाधा डाले बिना सिंचाई की जा सके।

बांधों की संख्या बढ़ाने की बजाय नदी के पानी को प्राकृतिक रूप से फैलने और धरती को भरने देना चाहिए। मंद कृषि के लिए उपजाऊ गाद लाकर और भूजल पुनर्भरण करके बाढ़ बहुमूल्य कार्य करती है। लोगों को बाढ़ संबंधित कठिनाइयों और लाभ के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।


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