Hindi, asked by brainliestnp, 3 months ago

need relevant Answer please solve it irrelevant answers will be reported​

Attachments:

Answers

Answered by pratapansh
3

Answer:

Sikkim :-

हिम पर्वत पर मिलने वाला,

फूल बड़े मतवाले।

छोटी झाड़ी से पौधे तक,

इसके रूप निराले।।

छह हजार मीटर ऊंचाई,

तक यह पाया जाता।

धीमी गति से बढ़कर अपना,

सुंदर रूप सजाता।।

मूल रूप से सिक्किम का है,

सर्दी सहने वाला |

मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,

पौधा बड़ा निराला।।

आते ही गरमी का मौसम,

फूल अनोखे आते।

पहले होते ये घंटी से,

फिर गुलाब हो जाते।।

अंग सभी उपयोगी इसके,

औषधि खूब बनाते।

रोग भयानक लगने वाले,

छूमंतर हो जाते।।

India :-

"मन जहां डर से परे है

और सिर जहां ऊंचा है;

ज्ञान जहां मुक्‍त है;

और जहां दुनिया को

संकीर्ण घरेलू दीवारों से

छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;

जहां शब्‍द सच की गहराइयों से निकलते हैं;

जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें

त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;

जहां कारण की स्‍पष्‍ट धारा है

जो सुनसान रेतीले मृत आदत के

वीराने में अपना रास्‍ता खो नहीं चुकी है;

जहां मन हमेशा व्‍यापक होते विचार और सक्रियता में

तुम्‍हारे जरिए आगे चलता है

और आजादी के स्‍वर्ग में पहुंच जाता है

ओ पिता

मेरे देश को जागृत बनाओ"

Answered by Queendishaa
3

Sikkim ke khubsurati par kavita :-

हिम पर्वत पर मिलने वाला,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,औषधि खूब बनाते।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,औषधि खूब बनाते।रोग भयानक लगने वाले,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,औषधि खूब बनाते।रोग भयानक लगने वाले,छूमंतर हो जाते।।

Bharat ka ojaha darate hoye kavita :-

स्‍वर्ग या तोरण पथ से बेहतर

मैं तुम्‍हें प्‍यार करता हूं, ओ मेरे भारत

और मैं उन सभी को प्‍यार करुंगा

मेरे सभी भाई जो राष्‍ट्र में रहते हैं

ईश्‍वर ने पृथ्‍वी बनाई;

मनुष्‍य ने देशों की सीमाएं बनाई

और तरह तरह की सुंदर सीमा रेखाएं खींचीं

परन्‍तु अप्राप्‍त सीमाहीन प्रेम

मैं अपने भारत देश के लिए रखता हूं

इसे दुनिया में फैलाना है

धर्मों की माँ, कमल, पवित्र सुंदरता और मनीषी

उनके विशाल द्वार खुले हैं

वे सभी आयु के ईश्‍वर के सच्‍चे पुत्रों का स्‍वागत करते हैं

जहां गंगा, काष्‍ठ, हिमालय की गुफाएं और

मनुष्‍यों के सपने में रहने वाले भगवान

मैं खोखला हूं; मेरे शरीर ने उस तृण भूमि को छुआ है |

Hope this helps you.....

Similar questions