Nehru ji ne Bharat ko kis nazariye se dekhna shuru kiya
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Explanation:नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) पर हंगामा मचा है. इस बिल के विरोध में नॉर्थ ईस्ट (North East) के राज्य जल रहे हैं. हिंसक विरोध प्रदर्शन (Violent Protest) की रोज तस्वीरें आ रही हैं. विपक्ष ने कानून के प्रावधानों को संविधान का उल्लंघन मानते हुए, एतराज जताया है. सुप्रीम में भी इस कानून के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी गई है.सरकार के तमाम आश्वासनों के बाद भी नागरिकता कानून पर बहस थम नहीं रही.
नए नागरिकता कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म के लोग भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. इन देशों में अल्पसंख्यकों पर होने वाली धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए, इन्हें नागरिकता देने की व्यवस्था की गई है. लेकिन इस व्यवस्था से मुस्लिमों को बाहर रखा गया है.
मुस्लिमों को शामिल नहीं किए जाने की वजह से इसपर सवाल उठाए जा रहे हैं. विपक्षी पार्टियां सवाल खड़े कर रही है कि ये भारत के संविधान द्वारा दिए सरकार और कानून व्यवस्था के सामने सभी लोगों को एकसमान मानने के अधिकार का उल्लंघन है. सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वो अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रही है.
नागरिकता कानून और भारतीय नागरिकता की बहस के बीच एक सवाल उठता है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भारतीय नागरिकता पर क्या नजरिया था. नेहरू ने पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के सवाल पर क्या जवाब दिया था?
शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने पर नेहरू ने दिया था जवाब
नागरिकता पर संविधान सभा में चली बहस के दौरान जवाहर लाल नेहरू से भी सवाल पूछा गया था. 8 जनवरी 1949 को संविधान सभा में हुई बहस के दौरान अलगू राय शास्त्री ने जवाहरलाल नेहरू से नागरिकता को लेकर सवाल पूछा था.