nehru ji ne kisano ko sambhodit karte hue kon sa sandhesh dena chaha hai?
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क्या पंडित नेहरू के तीन गलत फैसले हैं कश्मीर की इस हालत के लिए जिम्मेदार
bhaskar news | Last Modified - Dec 20,2014 12:21 PM IST
श्रीनगर। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिए गए तीन फैसलों का दंश कश्मीर आज तक भुगत रहा है। पंडित नेहरू को भारत का स्वप्नद्रष्टा भी कहा जाता है। आज जो परेशानियां देश के सामने हैं, उनमें से अधिकांश पंडित नेहरू के समय की ही हैं। अगर यहां बात करें सिर्फ कश्मीर की, तो जब कश्मीर के महाराजा ने बिना किसी शर्त के अपनी रियासत का भारत में विलय का प्रस्ताव कर दिया था, ऐसे में नेहरू ने उस प्रस्ताव पर शेख अब्दुल्ला की सहमति जरूरी होना क्यों बताया? धारा 370 और अन्य शर्तें तो कश्मीर मुद्दे पर नेहरू और शेख की बैठकों के बाद जोड़ी गईं।
नेहरू के तीन फैसलों का दंश भुगत रहा पूरा देश
आजादी के समय भारत में करीब 600 से अधिक रियासतों के विलय के लिए कुछ नियम बनाए गए थे। करीब दर्जन भर रियासतों को छोड़कर सभी का विलय तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल की मंशा के अनुसार भारत में हो गया था। कश्मीर रियासत का मामला नेहरू ने अपने पास रख लिया, जबकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता था। कश्मीर के मामले में प्रधानमंत्री के तौर पर नेहरू के तीन फैसलों ने कश्मीर का मामला और ज्यादा उलझा दिया।
नेहरू के तीन गलत फैसले
1. कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना।
2. 1948 में भारत-पाक की जंग के बीच अचानक सीजफायर का एलान कर देना।
3. आर्टिकल 370 के तहत कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देना।
आगे की स्लाइड में पढ़ें, आखिर नेहरू क्यों चाहते थे कि जनमत संग्रह हो...
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anekta me akta ka
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