Social Sciences, asked by gargi2809, 9 months ago

nepolian Sahita ko spasht krte huye nepoliyan ke sainikokko urop ke Anya deshoka virodh kyun zelna pada?​

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Answered by unicorn276
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नेपोलियन बोनापार्ट (15 अगस्त 1769 - 5 मई 1821) (जन्म नाम नेपोलियोनि दि बोनापार्टे) फ्रान्स की क्रान्ति में सेनापति, 11 नवम्बर 1799 से 18 मई 1804 तक प्रथम कांसल के रूप में शासक और 18 मई 1804 से 6 अप्रैल 1814 तक नेपोलियन I के नाम से सम्राट रहा। वह पुनः 20 मार्च से 22 जून 1815 में सम्राट बना। वह यूरोप के अन्य कई क्षेत्रों का भी शासक था।

इतिहास में नेपोलियन विश्व के सबसे महान सेनापतियों में गिना जाता है। उसने एक फ्रांस में एक नयी विधि संहिता लागू की जिसे नेपोलियन की संहिता कहा जाता है।

वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से एक था। उसके सामने कोई रुक नहीं पा रहा था। जब तक कि उसने 1812 में रूस पर आक्रमण नहीं किया, जहां सर्दी और वातावरण से उसकी सेना को बहुत क्षति पहुँची। 18 जून 1815 वॉटरलू के युद्ध में पराजय के पश्चात अंग्रज़ों ने उसे अन्ध महासागर के दूर द्वीप सेंट हेलेना में बन्दी बना दिया। छः वर्षों के अन्त में वहाँ उसकी मृत्यु हो गई। इतिहासकारों के अनुसार अंग्रेज़ों ने उसे संखिया (आर्सीनिक) का विष देकर मार डाला।

नैपोलियन कार्सिका और फ्रांस के एकीकरण के अगले वर्ष ही १५ अगस्त १७६९ ई॰ को अजैसियों में पैदा हुआ था। उसके पिता चार्ल्स बोनापार्ट एक चिरकालीन कुलीन परिवार के थे। उनका वंश कार्सिका के समीपस्थ इटली के टस्कनी प्रदेश से संभूत बताया जाता है। चार्ल्स बोनापार्ट फ्रेंच दरबार में कार्सिका का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने लीतिशिया रेमॉलिनो (Laetitia Ramolino) नाम की एक उग्र स्वभाव की सुंदरी से विवाह किया था जिससे नैपोलियन पैदा हुआ। चार्ल्स ने फ्रेंच शासन के विरुद्ध कार्सिकन विद्रोह में भाग भी लिया था, किंतु अंतत: फ्रेंच शक्ति से साम्य स्थापित करना ही श्रेयस्कर समझा। फ्रेंच गवर्नर मारबिफ (Marbeuf) की कृपा से उन्हें वर्साय की एक मंत्रणा में सम्मिलित होने का अवसर भी मिला। चार्ल्स के साथ उसकी द्वितीय पुत्र नैपोलियन भी था। उसके व्यक्तित्व से जिस उज्वल भविष्य का संकेत मिलता था उससे प्रेरित होकर फ्रेंच अधिकारियों ने ब्रीन (Brienne) की सैनिक अकैडैमी में अध्ययन करने के लिए उसे एक छात्रवृत्ति प्रदान की और वहाँ उसने १७७९ से १७८४ तक शिक्षा पाई। तदुपरांत पैरिस के सैनिक स्कूल में उसे अपना तोपखाने संबंधी ज्ञान पुष्ट करने का अवसर लगभग एक वर्ष तक मिला। इस प्रकार नैपोलियन का बाल्यकाल फ्रेंच वातावरण में व्यतीत हुआ।

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