netaji ka chashma path me desh bhakti kise kaha gaya hai
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नेताजी का चश्मा पाठ में देशभक्त किसे कहा गया है?
►‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में चश्मे बेचने वाले बूढ़े लंगड़े आदमी को देशभक्त कहा गया है।
इस पाठ के लेखक के अनुसार देशभक्ति की भावना देश के सभी नागरिकों में होनी चाहिए। देशभक्त कोई भी हो सकता है उसके लिए अमीर होना जरूरी नहीं। एक गरीब व्यक्ति भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपनी देशभक्ति प्रकट कर सकता है। जिस तरह इस कहानी में चश्मा बेचने एक साधारण सा, गरीब व्यक्ति था लेकिन नेता जी की मूर्ति के प्रति उसके मन में अगाध सम्मान था। इसलिए वह नेता जी के मूर्ति के चश्मा विहीन चेहरे को नहीं देख सकता था, क्योकि चश्मा नेताजी की पहचान थी। इसलिए वह अपनी रोजी-रोटी के साधन चश्मे को नेता जी की मूर्ति पर लगाए रखता है, जब तक वह जीवित रहता है तब तक वह इस काम को करता रहता है। इस तरह उस साधारण से व्यक्ति ने अपनी देशभक्ति का परिचय दिया।
इसका तात्पर्य यह है कि देशभक्ति की भावना किसी में भी हो सकती है और सब में होनी ही चाहिए। हमें अपनी सामर्थ्य के अनुसार देश हित के लिए कोई ना कोई कार्य अवश्य करना चाहिए। देश भक्ति प्रकट करने के लिए हमारे पास बहुत अधिक धन हो ऐसा आवश्यक नहीं ।हम अपने छोटे मोटे प्रयासों से ही अपनी देशभक्ति प्रकट कर सकते हैं जैसा कि उस चश्मे वाले ने किया था।
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(नेताजी का चश्मा)
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Answer:
इस पाठ के लेखक के अनुसार देशभक्ति की भावना देश के सभी नागरिकों में होनी चाहिए। देशभक्त कोई भी हो सकता है उसके लिए अमीर होना जरूरी नहीं। एक गरीब व्यक्ति भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपनी देशभक्ति प्रकट कर सकता है। जिस तरह इस कहानी में चश्मा बेचने एक साधारण सा, गरीब व्यक्ति था लेकिन नेता जी की मूर्ति के प्रति उसके मन में अगाध सम्मान था। इसलिए वह नेता जी के मूर्ति के चश्मा विहीन चेहरे को नहीं देख सकता था, क्योकि चश्मा नेताजी की पहचान थी। इसलिए वह अपनी रोजी-रोटी के साधन चश्मे को नेता जी की मूर्ति पर लगाए रखता है, जब तक वह जीवित रहता है तब तक वह इस काम को करता रहता है। इस तरह उस साधारण से व्यक्ति ने अपनी देशभक्ति का परिचय दिया।
इसका तात्पर्य यह है कि देशभक्ति की भावना किसी में भी हो सकती है और सब में होनी ही चाहिए। हमें अपनी सामर्थ्य के अनुसार देश हित के लिए कोई ना कोई कार्य अवश्य करना चाहिए। देश भक्ति प्रकट करने के लिए हमारे पास बहुत अधिक धन हो ऐसा आवश्यक नहीं ।हम अपने छोटे मोटे प्रयासों से ही अपनी देशभक्ति प्रकट कर सकते हैं जैसा कि उस चश्मे वाले ने किया था।
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