Hindi, asked by koushikbholthy019, 9 months ago

nethajika chesma lesson full
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Answered by singhsneha89gmailcom
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नेताजी का चश्मा

एक कंपनी में कार्यरत एक साहब अक्सर अपनी कंपनी के काम से बाहर जाते थे। हालदार साहब एक कस्बे से होकर गुजरते थे। वह कस्बा बहुत ही छोटा था। गाने भर के लिए बाजार और पक्के मकान के। लड़कों और लड़कियों का अलग-अलग स्कूल था। मुख्य बाजार के मुख्य चौराहे पर नेता जी की मूर्ति थी। मूर्ति कम चलाओ थी पर कोशिश सराहनीय थी। संगमरमर की मूर्ति थी पर उस पर चश्मा असली था। चौकोर और चौड़ा सा काला रंग का चश्मा। फिर एक बार गुजरते हुए देखा तो पतले तार का गोल चश्मा था। जब भी हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते तो मुख्य चौराहे पर रुक कर पान जरूर खाते और नेता जी की मूर्ति पर बदलते चश्मे को देखते। एक बार पान वाले से पूछा कि ऐसा क्यों होता है तो। जब भी कोई ग्राहक आता और उससे वही चश्मा चाहिए तो वह मूर्ति से निकलकर बेच देता और उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता। पान वाले ने बताया कि जुगाड़ पर कस्बे के मास्टर साहब ने बताया बनवाया वह मूर्ति मास्टर साहब चश्मा बनाना भूल गए थे। और पूछने पर पता चला कि कस चश्मे वाले का कोई दुकान नहीं था बल्कि वह बस एक मरियल सा बूढ़ा था जो बांस पर चश्मे की फ्री लगाता था। जिस मजाक से पान वाले ने उसके बारे में बताया हालदार साहब को अच्छा ना लगा और उन्होंने फैसला किया 2 साल तक साहब वहां से गुजरते रहे और नेताजी के बदलते चश्मे को देखते रहे। कवि काला कभी लाल, कभी गोल कभी चौकोर कभी धूप वाला कभी कांच वाला। एक बार हालदार साहब ने देखा कि नेताजी की मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं है। पान वाले ने उदास होकर नमक उसे बताया कि कैप्टन मर गया। वह पहले ही समझ चुके थे कि वह चश्मा वाला एक फौजी था और नेताजी को उनके चश्मे के बगैर देखकर आहत हो जाता होगा। अपने जी चश्मा में से एक चश्मा उन्होंने पहना देता और जब भी कोई ग्राहक उसकी मांग करते तो उन्हें वह नेता जी से माफी मांग कर ले जाता और उसकी जगह दूसरा सबसे बढ़िया चश्मा उन्हें पहना जाता होगा। और उन्हें याद आया कि पान वाले ने हंसते हुए उसे लंगड़ा पागल बताया था। उसके मरने की बात उनके दिल पर चोट कर गई और उन्होंने फिर कभी वहां से गुजरते वक्त ना रुकने का फैसला किया। पर हर बार नजर नेता जी की मूर्ति पर जरूर पड़ जाती थी। एक बार वह देखकर दंग रह गए कि नेता जी की मूर्ति पर चश्मा चढ़ा है। जाकर ध्यान से देखा तो बच्चों द्वारा बनाया एक चश्मा उनकी आंखों पर चढ़ा था। इस कहानी से यह बताने की कोशिश की गई है कि हम देश के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों की कोई इज्जत नहीं करते। उनके भावनाओं की खिल्ली उड़ा देते और ना ही हमारे स्वतंत्रता के लिए जेब लगाने वाले महान लोगों की इज्जत करते हैं। पर बच्चों ने कैप्टन की भावनाओं को समझा और नेताजी की आंखों को सुनाना होने दिया।

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