Hindi, asked by sameershaikhss913473, 1 month ago

netik mulya or rastr nirman​

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Answered by manishadhiman31
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Answer:

नैतिकता/नैतिक मूल्य वास्तव में ऐसी सामाजिक अवधारणा है जिसका मूल्यांकन किया जा सकता है. यह कर्तव्य की आंतरिक भावना है और उन आचरण के प्रतिमानों का समन्वित रूप है जिसके आधार पर सत्य असत्य, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय किया जा सकता है और यह विवेक के बल से संचालित होती है.

नैतिक मूल्य परिचय एवं वर्गीकरण मानवीय मूल्य वे मानवीय मान, लक्ष्य या आदर्श हैं जिनके आधार पर विभिन्न्ा मानवीय परिस्थितियों तथा विषयों का मूल्यांकन किया जाता है। ... मूल्यों के द्वारा सभी प्रकार की 'वस्तुओं' का मूल्यांकन किया जा सकता है, चाहे वे भावनाएँ हो या विचार, क्रिया, गुण, वस्तु, व्यक्ति, समूह, लक्ष्य या साधन।

Explanation:

अवधारणा

मूल्य शब्द से तात्पर्य किसी भौतिक वस्तु अथवा मानसिक अवस्था के उस गुण से है, जिसके द्वारा मनुष्य के किसी उद्देश्य अथवा लक्ष्य की पूर्ति होती है।

मूल्यों का व्यक्ति के आचरण, व्यक्तित्व तथा कार्यों पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।

मूल्यों की विशेषताएँ

मूल्य के दो पहलू होते हैं। प्रथम विषय-वस्तु और दूसरा तीव्रता।

मूल्य कुछ अंश तक आंतरिक भाव होते हैं, जो व्यक्ति के व्यक्तित्त्व में प्रतिबिम्बित होते हैं।

क्षेत्र विशेष के संदर्भ में मूल्य के महत्त्व में अंतर पाया जाता है।

मूल्य अमूर्त होते हैं।

मूल्य सीखे जाते हैं।

मूल्यों के प्रकार

दृष्टिकोण के आधार पर

सकारात्मक मूल्य, जैसे- अहिंसा, शांति, धैर्य आदि।

नकारात्मक मूल्य, जैसे- हिंसा, अन्याय, कायरता आदि।

उद्देश्य के आधार पर

साध्य मूल्य- वे सभी वस्तुएँ या अवस्थाएँ, जो स्वयं में शुभ होती हैं।

साधन मूल्य- जो अपने आप में शुभ न होकर किसी अन्य वस्तु के साधन के रूप में शुभ होता है।

विषय क्षेत्र के आधार पर

सामाजिक मूल्य, जैसे- अधिकार, कर्त्तव्य, न्याय आदि।

मानव मूल्य , जैसे- नैतिक मूल्य, आध्यात्मिक मूल्य आदि।

नैतिक मूल्य, जैसे- न्याय, ईमानदारी आदि।

आध्यात्मिक मूल्य, जैसेे- शांति, प्रेम, अहिंसा आदि।

भौतिक मूल्य, जैसे- भोजन, मकान, वस्त्र आदि।

सौंदर्यात्मक मूल्य, प्रकृति, कला एवं मानवीय जीवन के साैंदर्य को कहते हैं।

मनोवैज्ञानिक मूल्य, जैसे- प्रेम, दया आदि।

कार्य क्षेत्र के आधार पर

राजनीतिक मूल्य, जैसे- ईमानदारी, सेवा भाव आदि।

न्यायिक मूल्य , जैसे- सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता आदि।

व्यावसायिक मूल्य, जैसे- जवाबदेही, ज़िम्मेदारी, सत्यनिष्ठा आदि।

मूल्य एवं अभिवृत्ति में संबंध

समानताएँ

दोनों ही सीखे जाते हैं।

दोनों ही प्राय: स्थायी होते हैं।

दोनों में ही व्यक्ति के व्यवहार को प्रेरित करने की क्षमता होती है।

असमानताएँ

अभिवृत्ति प्राय: मूल्यों से ही उत्पन्न होती है।

विशिष्ट परिस्थिति में अभिवृत्ति मूल्य को निर्धारित करती है।

मूल्य तथा अभिवृत्ति परस्पर संबंधित हैं, इसलिये मूल्यों में परिवर्तन होने से अभिवृत्ति भी स्वत: बदलने लगती है।

कभी-कभी मूल्यों द्वारा अभिवृत्ति एवं व्यवहार का संबंध निर्धारित होता है। किसी विशेष मूल्य के कारण व्यक्ति का व्यवहार उसकी अभिवृत्ति से असंगत हो सकता है।

निम्नलिखित में से कौन सा तत्व राष्ट्र निर्माण के समक्ष एक प्रमुख वादा है 1 औद्योगिकरण 2 शिक्षा का प्रसार 3 जनसंचार के साधन 4 सांप्रदायिकता

कुछ लोग राष्ट्र निर्माण मात्र और मात्र राजनीतिक प्रतिनिधित्व से जोड़कर देखते हैं परन्तु राष्ट्र निर्माण मात्र राजनीती से ही नही होता, राष्ट्र निर्माण होता है राष्ट्रवासी से यदि देश में निवास करने वाला प्रत्येक राष्ट्रवासी यह ठान ले कि हमें अन्याय नहीं सहना है अन्याय नहीं करना है तो राष्ट्र निर्माण की वह बुनियाद पड़ेगी

राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को पहचानें देश में जन्मे प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण का भाव रखना ही सच्ची राष्ट्र सेवा है। राष्ट्र जैसे छोटे से शब्द में विशाल असीमित और बहुआयामी अर्थ और कर्तव्यबोध का सार समाहित हैंसर्वप्रथम इन तथ्यों का प्रमाण हमें 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के समक्ष दिये गये बाबासाहेब के उदबोधन से मिलता हैं. इस दिन बाबासाहेब ने संविधान की फाइनल प्रति तात्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंपी थी.

भारत में आजादी और बंटवारे के बाद सबसे बड़ी और सबसे पहली चुनौती एकता और अखंडता की चुनौती थी । क्योंकि भारत में बहुत सारे धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के लोग रहते हैं । इनके बीच एकता और अखंडता बनाना किसी चुनौती से कम नहीं था । धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के आधार पर देश के बंटवारे की मांग पैदा होने लगी ।

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