new york sahar me shri prabhupad ne bhagwat geeta ke sandesh ka prachar american yuvai me kiya we unke bich me gaye aur mahamantra ka kirtan shru kiya " hare krishna hare krishana krishna krishna hre hre hre ram hre ram ram ram hre hre aur prabhu pad ke sang aur shakti se we sabhi krishna ke bhakt bane prabhu pad ke shisy bane aur sant sowabhav ke wkti bane yh new york me hua tha jaha shri prabhu pad ne san 1966 me antarrastya krishna bhawanamrit sangh ki sthapna ki phir unhaune puri duniya me apne shsyaui ko chaitany mahaprabhu ka sandesh phailane ke liye bheja aur mantriyal ,bostan, londan, jarmani me nai kendra khole
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बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी घर घर में पूजा सदियों से की जाती रही है। कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। .
428 संबंधों: चन्द्रवंशी, चम्पा, चाणूर, चंद्रवंशी समाज, चंपू, चक्रव्यूह, चौबीस अवतार, चैतन्य महाप्रभु, चेरुशेरी नम्बूतिरी, चीर हरण, ठाकुर बिल्वमंगल, डेरापुर, कानपुर देहात, त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर, त्रिविका, तोमर, तीर्थंकर, दशावतार, दक्षिणकालिका, द्रोणपर्व, द्वापर युग, द्वारका, द्वारका प्रसाद मिश्र, दैवज्ञ, दूतकाव्य, देवता, देवभूमि द्वारका जिला, देवघर, देवक, देवकी, दोलोत्सव, दीपावली, धमार, धार, ध्रुवदास, ध्रोल राज्य, धौलीनाग मंदिर, धृष्टद्युम्न, नरसिंह पुराण, नरसी मेहता, नरकासुर, नर्क चतुर्दशी, नरोत्तमदास, नायर, नायक नायिका भेद, नारद पुराण, नारद मुनि, नारायणी सेना, नारायणीयम्, नारोमुरार, नागराज, ...
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