niband on aadarsh vidayarthi
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आदर्श (ideal) विद्यार्थी वह है जो ज्ञान या विद्या की प्राप्ति को जीवन का पहला आदर्श मानता है।
विद्या मनुष्य को नम्र (Humble), सहनशील (Tolerant ) एवं गुणवान (Talented) बनाती है।
विद्या की प्राप्ति से ही छात्र आगे चलकर योग्य (Worthy) नागरिक (Citizen) बन पाता है।
आदर्श विद्यार्थी को अच्छी पुस्तकों से प्रेम होता है।
वह पुस्तक में बताई गई बातों को ध्यान में रखता है और अपने जीवन में उतार (Imbibes) लेता है।
वह अच्छे गुणों को अपनाता है और बुराइयों (Evils) से दूर रहता है।
उसके मित्र भी अच्छे सद्गुणों से युक्त होते हैं।
वह अपने गुरुजनों का सम्मान करता है।
वह अपने चरित्र (Character) को ऊंचा बनाने का प्रयास करता है।
विद्या मनुष्य को नम्र (Humble), सहनशील (Tolerant ) एवं गुणवान (Talented) बनाती है।
विद्या की प्राप्ति से ही छात्र आगे चलकर योग्य (Worthy) नागरिक (Citizen) बन पाता है।
आदर्श विद्यार्थी को अच्छी पुस्तकों से प्रेम होता है।
वह पुस्तक में बताई गई बातों को ध्यान में रखता है और अपने जीवन में उतार (Imbibes) लेता है।
वह अच्छे गुणों को अपनाता है और बुराइयों (Evils) से दूर रहता है।
उसके मित्र भी अच्छे सद्गुणों से युक्त होते हैं।
वह अपने गुरुजनों का सम्मान करता है।
वह अपने चरित्र (Character) को ऊंचा बनाने का प्रयास करता है।
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