Niband on Kalpna Chawla in Hindi
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कल्पना चावला (17 मार्च 1962 - 1 फ़रवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी[1] और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी।[2] वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।
प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]
भारत की बेटी-कल्पना चावला करनाल, हरियाणा, भारत में एक हिंदू भारतीय परिवार में जन्म लिया था। उनका जन्म 17 मार्च् सन् 1962 मे एक भारतीय परिवार मे हुआ था। उसके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनो मे सबसे छोटी थी। घर मे सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे। कल्पना की प्रारंभिक पढाई “टैगोर बाल निकेतन” मे हुई। कल्पना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनयर बनने की इच्छा प्रकट की। उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की। पिता उसे चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे। किंतु कल्पना बचपन सेही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। कल्पना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था - उसकी लगन और जुझार प्रवृति। कलपना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी। [3] उनकी उड़ान में दिलचस्पी जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटासे प्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।[4][5]
शिक्षा[संपादित करें]
कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की। आगे की शिक्षा वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़, भारत से करते हुए 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गईं और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की। कल्पना जी ने 1986 में दूसरी विज्ञान निष्णात की उपाधि पाई और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियंत्रिकी में विद्या वाचस्पति की उपाधि पाई। कल्पना जी को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी।
एम्स अनुसंधान केंद्र[संपादित करें]
१९८८ के अंत में उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने वहाँ वी/एसटीओएल में सीएफ़डी पर अनुसंधान किया।[4]
नासा कार्यकाल[संपादित करें]
अंतरिक्ष शटल सिम्युलेटर में चावला
कल्पना जी मार्च १९९५ में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और उन्हें १९९८ में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन १९ नवम्बर १९९७ को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-८७ से शुरू हुआ। कल्पना जी अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ाने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं। राकेश शर्मा ने १९८४ में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थी। कल्पना जी अपने पहले मिशन में १.०४ करोड़ मील का सफ़र तय कर के पृथ्वी की २५२ परिक्रमाएँ कीं और अंतरिक्ष में ३६० से अधिक घंटे बिताए। एसटीएस-८७ के दौरान स्पार्टन उपग्रह को तैनात करने के लिए भी ज़िम्मेदार थीं, इस खराब हुए उपग्रह को पकड़ने के लिए विंस्टन स्कॉट और तकाओ दोई को अंतरिक्ष में चलना पड़ा था। पाँच महीने की तफ़्तीश के बाद नासा ने कल्पना चावला को इस मामले में पूर्णतया दोषमुक्त पाया, त्रुटियाँ तंत्रांश अंतरापृष्ठों व यान कर्मचारियों तथा ज़मीनी नियंत्रकों के लिए परिभाषित विधियों में मिलीं।
एसटीएस-८७ की उड़ानोपरांत गतिविधियों के पूरा होने पर कल्पना जी ने अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में, तकनीकी पदों पर काम किया, उनके यहाँ के कार्यकलाप को उनके साथियों ने विशेष पुरस्कार दे के सम्मानित किया।
१९८३ में वे एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक, जीन पियरे हैरीसन से मिलीं और शादी की और १९९० में[6] एक देशीयकृत संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनीं।
भारत के लिए चावला की आखिरी यात्रा १९९१-१९९२ के नए साल की छुट्टी के दौरान थी जब वे और उनके पति, परिवार के साथ समय बिताने गए थे। २००० में उन्हें एसटीएस-१०७ में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया। यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा, क्योंकि विभिन्न कार्यों के नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनीकी समस्याएँ भी आईं, जैसे कि शटल इंजन बहाव अस्तरों में दरारें। १६ जनवरी २००३ को कल्पना जी ने अंततः कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत एसटीएस-१०७ मिशन का आरंभ किया। उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहैब/बल्ले-बल्ले/फ़्रीस्टार लघुगुरुत्व प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने ८० प्रयोग किए, जिनके जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का अध्ययन हुआ। कोलंबिया अन्तरिक्ष यान में उनके साथ अन्य यात्री थे-
· कमांडर रिक डी . हुसबंद
· पायलट विलियम स. मैकूल
· कमांडर माइकल प . एंडरसन
· इलान रामों
· डेविड म . ब्राउन
· लौरेल बी . क्लार्क[7][8][9][10][11][12][13][14][15][16][17][18]
कल्पना चावला का जन्म सन् १९६२ मे हरियाणा के करनाल शहर मे एक मध्य वर्गीय परिवार मे हुआ था । उसकी पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संज्योती था । वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी । घर मे सब उसे प्यार से मोटो कहते थे । कल्पना की प्रारंभिक पढाई लिखाई टैगोर काल निकेतन मे हुई । कल्पना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनियर बनने की इच्छा प्रकट की । उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की ।
कल्पना का सर्वाधिक महत्व पूर्ण गुण था – उसकी लगन और जुझारू प्रवर्ती । प्रफुल्ल स्वभाव तथा बढते अनुभव के साथ कल्पना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी । धीरे-धीरे निश्चयपूर्वक युवती कल्पना ने स्त्री – पुरुष के भेद-भाव से उसपर उठ कर काम किया तथा कक्षा मे अकेली छात्रा होने पर भी उसने अपनी अलग छाप छोडी । अपनी उच्च शिक्षा के लिये कल्पना ने अमेरिका जाने का मन बना लिया । उसने सदा अपनी महत्वाकाक्षा को मन मे सजाए रखा ।
उसने ७ नवम्बर २००२ को टेक्सास विश्वविद्यालय मे एक समाचार पत्र को बताया मुझे कक्षा मे जाना और उड़ान क्षेत्र के विषय मे सीखने मे व प्रश्नों के उत्तर पाने मे बहुत आनंद आता था । अमेरिका पहुँचने पर उसकी मुलाकत एक लंबे कद के एक अमेरिकी व्यक्ति जीन पियरे हैरिसन से हुई । कल्पना ने हैरिसन के निवास के निकट ही एक अपार्टमेन्ट में अपना निवास बनाया इससे विदेशी परिवेश में ढलने में कल्पना को कोई कठिनाई नहीं हुई । कक्षा में इरानी सहपाठी इराज कलखोरण उसका मित्र बना ।