Nibandh:-
Corona virus ka prakop aur vidyarthi jeevan.
don't copy from go_ogle❌
Answers
Explanation:
कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी के रूप में पूरे विश्व को अपने पंजो में जकड़ लिया है। चीन के वुहान शहर से निकलकर इस वायरस ने पूरे दुनिया की अर्थव्यवस्था को घुटनो पर लाकर रख दिया है। इस वायरस ने लाखो लोगों की जान ले ली है और कई लोग इस वायरस से संक्रमित है। भारत में 2 लाख से ज़्यादा लोग इस वायरस से प्रभावित है। भारत में लॉकडाउन का पांचवा चरण चल रहा है और समाजिक दूरी इसका एकमात्र उपाय है। इसके चलते दुकान, दफ्तर, विद्यालय और सार्वजनिक स्थल इत्यादि पर ताले लग चुके है।
कोरोना वायरस ने भारत की शिक्षा को प्रभावित किया है। फिलहाल मार्च महीने से लॉकडाउन की वजह से विद्यालय बंद कर दिए गए है। सरकार ने अस्थायी रूप से स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया है। वर्तमान स्थिति के अनुसार एक अनिश्चितता है कि स्कूल कब खुलेंगे। शिक्षा क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण समय है क्यों कि इस अवधि के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। इसके साथ बोर्ड परीक्षाओं और नर्सरी स्कूल प्रवेश इत्यादि सब रुक गए है। शिक्षा संस्थानों के बंद होने का कारण दुनिया भर में लगभग 600 मिलियन शिक्षार्थियों को प्रभावित करने की आशंका जातायी जा रही है।
शिक्षण संस्थानों द्वारा कोरोना संकटकाल के दौरान किये गए उपाय इस प्रकार है :
- स्कूल बंद
- परीक्षाओं को स्थगित या पुननिर्धारित किया गया
- परिसर की सफाई और स्वछता पर ध्यान
- दीर्घकालिक अनिश्चितता आदि पर विचार
सभी प्रमुख प्रवेश परीक्षाएं इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, कृषि, फैशन और डिजाइनिंग पाठ्यक्रम सहित स्थगित की गयी है। यह स्थिति मुख्य रूप से निजी विश्वविद्यालयों के लिए खतरा हो सकता है। कुछ कर्मचारियों के वेतन में कटौती हो सकती है। बोनस और वेतन वृद्धि को स्थगित किया जा सकता है।
खासकर 10 वी और 12 के विद्यार्थियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा। क्यूंकि उनके कुछ विषयों के पेपर लॉकडाउन के चलते स्थगित हो गए। यह दोनों कक्षाएं विद्यार्थी जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण काल है। इसपर भविष्य और उनके जीवन में आने वाला करियर पूर्ण रूप से निर्भर रहता है। लोकडाउन की वजह से हर तरह की एडमिशन परीक्षाएं स्थगित कर दी गयी है। पेपर लेट होंगे तो इसका रिजल्ट पर फर्क पड़ेगा। अभिभावक अपने बच्चो के आने वाले भविष्य को लेकर बेहद चिंतित है। कोरोना वायरस के संकटकाल की वजह से परिस्थिति कुछ ऐसी बनी हुयी है इसलिए शिक्षण आयोग ने यह फैसला लिया है कि इस वर्ष नर्सरी से लेकर नौवीं ,ग्यारहवीं कक्षा तक के बच्चो को बिना परीक्षा लिए पास कर दिया जाएगा।
लोकडाउन के चलते शिक्षको ने ऑनलाइन कक्षाएं प्रारम्भ कर दी है। इंटरनेट की सुविधाओं के कारण विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिकाएं बच्चो को ऑनलाइन क्लासेस करवा रहे है। ऑनलाइन से स्कूल ,कॉलेज ,विद्यार्थी एक साथ सम्पर्क साध रहे है जिससे पढ़ाई में रूकावट उतपन्न न हो। डिजिटल मार्किट के बाजार में ऑनलाइन क्लासेज का बोलबाला है। यहाँ विभिन्न एप्प के ज़रिये और वीडियो कॉल के माध्यम से पढ़ाया जाता है। ऑनलाइन क्लासेस की फीस कम होने की वजह से ज़्यादा छात्र इस शिक्षा माध्यम से जुड़ रहे है।