nibandh lekhan in hindi samay ka sadupayog
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मनुष्य को समय का सदैव सदुपयोग करना चाहिए, समय व्यर्थ में व्यतीत करना मूर्खता है। हमारे जीवन में कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता अतः भविष्य के ऊपर कोई भी कार्य हमें नहीं छोड़ना चाहिए। समय के साथ जो चलता है वही कामयाब होता है। उसे जीवन में कभी पछतावा नहीं होता क्यूंकी वो सब कुछ हासिल कर लेता है।
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समय के रहते प्रत्येक कार्य कर देना चाहिए ऐसा हम मानते है और ऐसा होना भी चाहिए। परंतु उससे ज्यादा ये बात है कि मनुष्य में आलस्य ज्यादा अगर हो तो, वो उसके लिए ज्यादा हानिकारक है। इससे संबंधित एक कहानी है। वो इस प्रकार
है।
एक गरीब किसान था। उसके चार पुत्र थे। परंतु चारो हि पुत्र बहुत आलसी थे। किसान उनकी इस आदत से बहुत परेशान था। उसकी थोडी सी जमीन थी। जिसका काम वो अकेले ही करता रहता था। अगर उसके लड़के वो काम करवाते तो थोड़ा से काम करते और किसी ना किसी बहाने काम को टाल कर चले जाते थे।
इस वजह से किसान का काम नही हो पाता था और हर बार की तरह किसान अपनी जमीन से जरा सा ही अन्न का उत्पन्न कर पाता था। एक बार की बात है, किसान की तबियत बहुत खराब थी और किसान को उसकी जमीन की खुदाई करनी थी। पर उसके बेटे हमेशा की तरह आलस्य कर के सोते रहते थे।
तब किसान ने अपने पुत्रों को सुधारने की सोची और अपने चारों बेटो को बुलाकर कहा पुत्रो मै आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूं, मै ये बात पहले भी कहना चाहता था। पर कह नही पाया किसान ने कहा बेटो अपनी जो जमीन है। उसके अंदर कहि पर बहुत सारा सोना गड़ा हुआ है। ये बात मुझे एक ऋषी महाराज ने बताई थी। पर उन्होंने कहा था पता नही जमीन में वो सोने का घड़ा कहा गड़ा है। तो उसके पुत्रो ने कहा पिताजी आप ने हमे ये बात पहले क्यों नही बताई तब किसान ने कहा पुत्रो मुझे भी ऋषी महाराज ने अभी ही बताया है पर में अपनी खेती की खुदाई कैसे करूँ मेरी तो तबियात ही सही नही है। तब किसान के पुत्रों के मन मे लालच आ गया और सोचने लगे कि अगर वो सोने का घड़ा हमे मिल गया तो हम तो बहुत पैसे वाले हो जाएंगे नोकर चाकर रखेंगे और आराम से सोया करेंगे, पर किसान ने कहा उसके लिए जमीन खोद कर वो घड़ा ढूढ़ना होंगा। तब किसान के पुत्रों ने कहा हम खोदेंगे अपनी जमीन को वो भी अभी से और किसान के पुत्रों ने फावड़ा उठाया और लग गए काम पर।
कई दिन बीत जाने के बाद किसान के पुत्रों ने कहा पिताजी जमीन पूरी खुद गयी पर सोने का धड़ा तो मिला ही नही। तब किसान ने कहा बेटो सोने का घड़ा तो मिल गया है। बस तूम उसे देख नही पा रहे हो। तब किसान ने कहा बेटो जो तुमने इतने दिन खुदाई करी उस जमीन पर अब बीज लाकर बोदो किसान के पुत्रों ने ऐसा ही करा, फिर किसान ने अपने पुत्रों को बुलाकर अपनी जमीन के पास ले गया वहाँ खिलखिलाती खेती को देखकर कहा देखो बेटो ये है वो सोना जब किसान के पुत्रों ने कहा पिताजी हमे समझ नही आया आप क्या कह रहे हो तब किसान ने कहा बेटो ये है तुम्हारी मेहनत का सच्चा सोना अब इसको काट कर बेच दो। तब किसान के पुत्रों ने काट कर बेचकर जो पैसे उनके पास आये बो उन्होंने अपने पिताजी को दे दिया तब किसान ने उस कमाई को चार हिस्से करके अपने बेटो में बाट दिया तब किसान के पुत्रों को उनकी गलती का एहसास हुआ उन्होंने अपने पिताजी के पैर पकड़कर माफी मांगी और कहा हमे सब समझ आ गया आप हमसे क्या कहना चाहते थे और क्या है वो सोना और अपने किये की माफ़ी अपने पिताजी से मांगी।
तो आपने देखा आलस मनुष्य को कहि भी अपनी एक पकड़ नही बनाने देता है परंतु अगर इस आलस को हमने छोड़ा तो हमारी मेहनत का फल हमे अवश्य ही मिलता है। इसलिये हमे आलस को छोड़कर समय के साथ चलना होगा और अपनी मेहनत के वो सोने के घड़े को ढूढ़ना होगा।
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है।
एक गरीब किसान था। उसके चार पुत्र थे। परंतु चारो हि पुत्र बहुत आलसी थे। किसान उनकी इस आदत से बहुत परेशान था। उसकी थोडी सी जमीन थी। जिसका काम वो अकेले ही करता रहता था। अगर उसके लड़के वो काम करवाते तो थोड़ा से काम करते और किसी ना किसी बहाने काम को टाल कर चले जाते थे।
इस वजह से किसान का काम नही हो पाता था और हर बार की तरह किसान अपनी जमीन से जरा सा ही अन्न का उत्पन्न कर पाता था। एक बार की बात है, किसान की तबियत बहुत खराब थी और किसान को उसकी जमीन की खुदाई करनी थी। पर उसके बेटे हमेशा की तरह आलस्य कर के सोते रहते थे।
तब किसान ने अपने पुत्रों को सुधारने की सोची और अपने चारों बेटो को बुलाकर कहा पुत्रो मै आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूं, मै ये बात पहले भी कहना चाहता था। पर कह नही पाया किसान ने कहा बेटो अपनी जो जमीन है। उसके अंदर कहि पर बहुत सारा सोना गड़ा हुआ है। ये बात मुझे एक ऋषी महाराज ने बताई थी। पर उन्होंने कहा था पता नही जमीन में वो सोने का घड़ा कहा गड़ा है। तो उसके पुत्रो ने कहा पिताजी आप ने हमे ये बात पहले क्यों नही बताई तब किसान ने कहा पुत्रो मुझे भी ऋषी महाराज ने अभी ही बताया है पर में अपनी खेती की खुदाई कैसे करूँ मेरी तो तबियात ही सही नही है। तब किसान के पुत्रों के मन मे लालच आ गया और सोचने लगे कि अगर वो सोने का घड़ा हमे मिल गया तो हम तो बहुत पैसे वाले हो जाएंगे नोकर चाकर रखेंगे और आराम से सोया करेंगे, पर किसान ने कहा उसके लिए जमीन खोद कर वो घड़ा ढूढ़ना होंगा। तब किसान के पुत्रों ने कहा हम खोदेंगे अपनी जमीन को वो भी अभी से और किसान के पुत्रों ने फावड़ा उठाया और लग गए काम पर।
कई दिन बीत जाने के बाद किसान के पुत्रों ने कहा पिताजी जमीन पूरी खुद गयी पर सोने का धड़ा तो मिला ही नही। तब किसान ने कहा बेटो सोने का घड़ा तो मिल गया है। बस तूम उसे देख नही पा रहे हो। तब किसान ने कहा बेटो जो तुमने इतने दिन खुदाई करी उस जमीन पर अब बीज लाकर बोदो किसान के पुत्रों ने ऐसा ही करा, फिर किसान ने अपने पुत्रों को बुलाकर अपनी जमीन के पास ले गया वहाँ खिलखिलाती खेती को देखकर कहा देखो बेटो ये है वो सोना जब किसान के पुत्रों ने कहा पिताजी हमे समझ नही आया आप क्या कह रहे हो तब किसान ने कहा बेटो ये है तुम्हारी मेहनत का सच्चा सोना अब इसको काट कर बेच दो। तब किसान के पुत्रों ने काट कर बेचकर जो पैसे उनके पास आये बो उन्होंने अपने पिताजी को दे दिया तब किसान ने उस कमाई को चार हिस्से करके अपने बेटो में बाट दिया तब किसान के पुत्रों को उनकी गलती का एहसास हुआ उन्होंने अपने पिताजी के पैर पकड़कर माफी मांगी और कहा हमे सब समझ आ गया आप हमसे क्या कहना चाहते थे और क्या है वो सोना और अपने किये की माफ़ी अपने पिताजी से मांगी।
तो आपने देखा आलस मनुष्य को कहि भी अपनी एक पकड़ नही बनाने देता है परंतु अगर इस आलस को हमने छोड़ा तो हमारी मेहनत का फल हमे अवश्य ही मिलता है। इसलिये हमे आलस को छोड़कर समय के साथ चलना होगा और अपनी मेहनत के वो सोने के घड़े को ढूढ़ना होगा।
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