Nibandh on Ablaa hai Naari in hindi with Rooprekha
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नारी उस वृक्ष की भांति है जो विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ रहते हुए राहगीरों को छाया प्रदान करता है, नारी की कोमलता एवं सहनशिलता को कई बार पुरुष ने उसकी निर्बलता मान लिया और इसलिए उसे अबला कहा किन्तु वो अबला नहीं है वो तो सबला है, पुरुष वर्ग शायद ये नहीं जानते की उसकी इसी कोमलता एवं सहनशीलता में ही मानव जीवन का अस्तित्व संभव है, क्या माँ के सिवाय संसार में ऐसी कोई हस्ती है जो उसी वात्सल्य और प्रेम से शिशु का लानन-पालन कर सके जैसे की माँ करती है, संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय नारी को ही जाता है, इस में किंचित मात्रा भी संदेह नहीं है कि नारी ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक करती है।
वर्तमान समय में नारीयाँ एक सुयोग्य गृहणी होने के साथ- साथ राजनीति, धर्म, कानून, न्याय सभी क्षेत्र में पुरुष की सहायक और प्रेरक भी हैं, आज की नारी जाग्रत एवं सक्रिय हो गयी है वह अपने अंदर निहित शक्तियों को जानने लगी है, जिससे आधुनिक नारी का समाज में न केवल सम्मान अपितु प्रतिष्ठा भी बढ़ी है, व्यवसाय एवं व्यापार जैसे पुरुष एकाधिकार वाले क्षेत्र में जिस प्रकार महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वो काबिले तारीफ है, इस परिपेछ्य में इंदिरा नूई , चंदा कोच्चर, चित्रा रामाकृष्णन, अनीता कपूर, अरुंधति भट्टाचार्या, आशु सुयश आदि के नाम प्रसिद्ध हैं।