Hindi, asked by ravipc5814, 1 year ago

Nibandh on adarsh vidyarthi in hindi for

Answers

Answered by ketan5678
14

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध

एक आदर्श छात्र वह है जो समर्पित रूप से अध्ययन करता है, स्कूल और घर में ईमानदारी से व्यवहार करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श छात्र बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके।

आदर्श छात्रों का हर जगह (स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और खेल अकादमियों में) स्वागत किया जाता है। आदर्श छात्र सटीकता के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते हैं। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। आदर्श विद्यार्थी के विषय पर आपकी सहायता करने के लिए हमने यहाँ विभिन्न निबंध उपलब्ध करवाएं हैं। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी आदर्श विद्यार्थी के निबंध का चयन कर सकते हैं:

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Essay on Ideal Student in Hindi)

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – 1 (200 शब्द)

एक आदर्श छात्र शिक्षा में अच्छा होता है, अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों में भाग लेता है, अच्छी तरह से व्यवहार करता है और सुंदर एवं सुशील दिखता है। हर व्यक्ति उसकी तरह बनना चाहता है और हर व्यक्ति उसका दोस्त बनना चाहता है। शिक्षक भी ऐसे छात्रों को पसंद करते हैं और वे जहां भी जाते हैं उनकी सराहना की जाती है।

हालांकि आदर्श छात्र भी एक ऐसा व्यक्ति है जिससे हर दूसरा छात्र चुपके-चुपके ईर्ष्या करता है। इसलिए, जब कि सभी इस तरह के छात्र के साथ बैठना या मित्र बनना चाहते हैं, तो कई लोग उनके लिए अच्छे की दुआ नहीं करते क्योंकि वे उनसे ईर्ष्या करते हैं। फिर भी इससे आदर्श छात्र के मन को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह अपने व्यक्तित्व से जीवन में उच्च चीजें हासिल करता है।

आदर्श छात्र कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो उत्तम है और प्रत्येक परीक्षा में पूर्ण अंक प्राप्त करता है या प्रत्येक खेल गतिविधियों, जिसमें वह भाग लेता है, में पदक जीतता है। आदर्श छात्र वह है जो अनुशासित रहता है और जीवन में एक सकारात्मक दृष्टि रखता है। आदर्श छात्र वह है जो पूर्ण दृढ़ संकल्प के साथ कड़ी मेहनत करता है और एक सच्ची खेल भावना रखता है। आदर्श छात्र वह नहीं है जो कभी भी विफल नहीं होता है पर विफलता से हार नहीं मानता। जब तक वह सफल नहीं होता तब तक वह कोशिश करता रहता है। वह नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता हैं। वह सफलता का स्वाद लेने चखने के लिए तत्पर रहता है और उसे हासिल करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है।

 

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – 2 (300 शब्द)

एक आदर्श छात्र वह है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा में या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह अपने शिक्षकों का पसंदीदा होता है और स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों का कार्यभार उसे सौंपा जाता है। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे।

एक आदर्श छात्र को निखारने में माता-पिता और शिक्षक की भूमिका

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपनी कक्षा में हर काम में प्रथम रहें, दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? नहीं! माता-पिता को यह समझना चाहिए कि वे अपने बच्चे के समग्र व्यक्तित्व को बदलने और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। यह उनका कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को स्कूल में अच्छा करने के महत्व को समझने में उनकी सहायता करें।

कई माता-पिता अपने बच्चों को बड़े सपने दिखाते हैं और उन्हें बताते हैं कि कैसे स्कूल के दिनों में अच्छे ग्रेड लाए जाते हैं और उसके लिए कड़ी मेहनत की जाती है जो उन्हें उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत जिंदगी में बाद में मदद करती है। हालांकि उनमें से अधिकतर अपने बच्चों को यह नहीं सिखाते हैं कि निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कैसे कड़ी मेहनत करें और प्रेरित रहें। माता-पिता को बच्चों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि वे स्कूल में अच्छा कर सकें।

शिक्षक अपने छात्रों के व्यक्तित्व को समान रूप से सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें सकारात्मक रूप से प्रभावित करने और हर कदम पर उन्हें प्रोत्साहित करने के तरीके ढूंढने की आवश्यकता है।

Answered by rakhister80
8

आदर्श विद्ययार्थी

महात्मा गांधी कहां करते थे, शिक्षा ही जीवन है। इसके समक्ष सभी धन फीके हैं। छात्र जीवन मानव का स्वर्णकाल कहलाता है। यह बाल्यकाल से आरंभ होकर युवावस्था तक रहता है। यही वह अवधि है जब मनुष्य अपनी सुषुप्त शक्तियों को पूर्ण रूप से विकसित करने में सक्षम होता है। यों तो मनुष्य जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है किंतु नियमित अध्ययन के लिए यह उपयुक्त है।

विद्या अध्ययन करने वाला विद्यार्थी कहलाता है। छात्र जीवन का उद्देश्य सिर्फ विद्या पाना ही नहीं बल्कि चरित्र निर्माण करना और शारीरिक और आत्मिक विकास करना भी है। इस अवधि में छात्र जो कुछ सीखते हैं कि वह जीवन के बारे में पर्याप्त है। यही वह अवस्था है जिसमें अच्छे नागरिकों का निर्माण होता है। यह वह अमूल्य समय है जिसके समानांतर मानव जीवन का कोई अन्य हिस्सा नहीं कर सकता।

ब्रह्मचारी छात्र जीवन के विकास का मूल मंत्र है। यही विद्यार्थी को उसकी उपलब्धि की ओर अग्रसर होने में सहायता करता है। चरित्र निर्माण के लिए छात्र को अपनी चंचल चित्त वृ अधिकारियों पर नियंत्रण करना सीखना होगा। शरीर आत्मा और मन में संयम रखते हुए ही छात्र में अनुशासन की भावना जागृत होती है। आत्म संयम और अनुशासन छात्र में विद्या अध्ययन के लिए अनुरोध प्रदान करते हैं और दुर्व्यसन पतन और आत्म- हनन से रक्षा करता है।

महान बनने के लिए महत्वाकांक्षी होना आवश्यक है। विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। जब उसके दिल में महत्वाकांक्षा की भावना हो। ऊपर दृष्टि रखने पर ही मनुष्य ऊपर उठता है। छात्र को अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और पूरे मनोयोग से उसकी प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए।

आदर्श छात्र और सौगुणों से सुजित छात्र समाज और राष्ट्र का आभूषण है। उसे अपने जीवन में शील, विनय, सदाचार, गुरुजन और बड़ों का सम्मान और अनुशासन प्रिय आदि गुणों को आत्मसात करना चाहिए। उसके जीवन का मूल और सादा जीवन उच्च विचार होना चाहिए। छात्र को अपने परिवार समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्व को कद अन्य भूलना नहीं चाहिए।

निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि छात्र जीवन अमूल्य है। इसी अवधि में छात्र अपने अधिकारों को समझने कर देश के आदर्शों और मूल्यों को आत्मसात करना चाहिए और संपूर्ण मानव जाति के कल्याण का व्रत धारण करना चाहिए।

Similar questions