Hindi, asked by vsgndjl, 10 months ago

nibandh on aligdrh ki numaish​

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Answered by Abhijeet239
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Aligarh एक महानगर है । इसकी महिमा अन्य नगरों से सर्वथा अलग है । दिए ली कई बातों के लिए विशेष प्रसिद्ध है । प्रदर्शनियां भी इनमें से एक हैं ।

सारे सालभर यहां छोटी-बड़ी अनेक प्रदर्शनियां लगती रहती हैं । चाचा नेहरू के जन्मदिन पर प्रगति मैदान में प्रतिवर्ष लगनेवाली प्रदर्शनी की तो कोई समानता ही नहीं । इस वर्ष मुझे प्रगति मैदान की इस प्रदर्शनी को देखने का अवसर मिला । मैं अपनी माताजी और बड़ी बहिन सरला के साथ वहां गया ।

रविवार का दिन था । मौसम सुहावना था और उजली धूप निकली हुई थी । हम लोग तिपहिया स्कूटर से वहां पहुंचे । बाहर टिकिट खिड़कियों पर लम्बी-लम्बी कतारे थीं । सर्वत्र देखने वालों की अपार भीड़ थी ।

पार्किंग स्थान पर हजारों कारें खड़ी थीं । बड़ा आश्चर्यजनक और विशाल दृश्य था ।

लोगबाग विभिन्न रंग-बिरंगे परिधानों में सजे-धजे बड़े सुन्दर लग रहे थे । क्यू में खड़े होकर मैंने तीन टिकिट खरीदे और फिर अन्दर गये । अन्दर चारों ओर बड़ा मनोरम दृश्य था । लोगबाग प्रदर्शनी का आनन्द ले रहे थे, स्टालों पर खा-पी रहे थे या मुलायम घास पर विश्राम कर रहे थे । जगह-जगह, आइसक्रीम, ठंडेपेयों, चाय, नमकीन आदि की दुकानें थीं । खाना-खाने का भी जगह-जगह प्रबंध था ।

Hope it helps.

Answered by Manmohan36
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राजकीय औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी में अक्सर लोग खजला और नानखटाई का स्वाद जरूर लेते है। ये दोनों मिठाई अलीगढ नुमाइश की पहचान बन चुकी है। जीटी रोड से गुजरते वक्त नुमाइश के बाहर खजला ही खजला नजर आता है। खजला मुख्यत: मैदा, चीनी और घी से बनाया जाता है। इस काम को कई कारीगर पीढ़ी दर पीढ़ी करते चले आ रहे हैं। खुर्जा के रहने वाले सुभाष चंद्र गुप्ता हर साल नुमाइश में खजले की दुकान लगाते हैं। उन्होंने बताया कि उनसे पहले उनके पापा खजले का काम करते थे। डिबाई के छत्रपाल वर्मा कभी 20 साल से खजले का काम कर रहे हैं। इधर अतरौली के काजिमाबाद निवासी रमेश चंद शर्मा 40 साल से इसी काम से जुड़े हुए हैं। वह राजस्थान, हरियाणा व यूपी के विभिन्न जिलों में जहां में मेला या नुमाइश लगती है वहां खजला व नानखटाई की दुकान लगाते हैं।

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