nibandh on antriksh mein badhate Bharat ka kadam (bhumika aur uddeshya)
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15 अगस्त, 2012 के भारत के प्रधानमंत्री ने मंगल ग्रह पर रोबोट अंतरिक्ष यान भेजने की मंशा के बारे में दुनिया को जानकारी दी थी। इसरो स्थित भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को लगभग एक वर्ष की अवधि में एक ऐसे सक्षम अंतरिक्ष यान का निर्माण करना था जिसे मंगल की कक्षा में स्थापित किया जा सके। इसरो के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में भारत की सफलताओं में एक नया आयाम जोड़ने की कोशिशों में पूरे उत्साह से जुट गये थे।
इस दिशा में सुनिश्चित किये गये ‘मंगल कक्षित्र मिशन’ का उद्देश्य मुख्य रूप से प्रौद्योगिकीय था। इसका वैज्ञानिक उद्देश्य था, मंगल ग्रह की कक्षा में अंतरिक्ष यान को स्थापित कर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आंकड़े जुटाना। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु निर्मित किये जाने वाले ’मंगल कक्षित्र यान’ की लागत लगभग 8 करोड़ अमेरिकी डालर (भारतीय मुद्रा में लगभग 450 करोड़ रुपए) अनुमानित थी। यह 5 नवम्बर 2013 को लांच किया गया। 24 सितम्बर, 2014 को मंगल ग्रह के चारों ओर एक सुनिश्चित कक्षा में ’मंगल कक्षित्र यान’ का प्रवेश अंतरिक्ष में भारत की सफलताओं में एक बड़ी उपलब्धि थी। इसने लगभग 67 करोड़ किमी की यात्रा तय की थी।
इससे पूर्व, अंतरिक्ष में भारत ने कई उपलब्धियां अर्जित कर ली थीं। इसरो द्वारा विकसित किये गये पांच प्रमोचन प्रक्षेपण यान एसएलवी-3, एएसएलवी, पीएसएलवी, जीएसएलवी, जीएसएलवी मार्क-3, जिसका दूसरा नाम एलवीएम-3 है, अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक अपने मिशन को पूरा कर चुके हैं। इसरो के अधिकांश उपग्रह व अंतरिक्ष यान, पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक रोकट) और जीएसलएवी (भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचक राकेट) द्वारा प्रक्षेपित हुए हैं। पीएसएलवी द्वारा प्रमोचित यानों में चंद्रयान-1 तथा मंगल कक्षित्र यान शामिल हैं। अक्तूबर 1994 से अप्रैल 2015 की अवधि में पीएसएलवी ने सिलसिलेवार 28 सफलताएं अर्जित की हैं। पीएसएलवी के द्वारा अनेक विदेशी उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया है।
5 जनवरी, 2014 अंतरिक्ष में भारत की सफलता का एक अन्य महत्वपूर्ण दिन था। श्री हरिकोटा द्वीप स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से 17 मंजिली इमारत जितने विशालाकार जीएसएलवी ने अपने प्रक्षेपण के मात्र 18 मिनट बाद एक सुनिश्चित कक्षा में जीसैट-14 उपग्रह को स्थापित कर दिया। इसमें इसरो द्वारा विकसित ’क्रायोजेनिक’ राकेट चरण का उपयोग किया गया था। 18 दिसम्बर 2014 को श्री हरिकोटा से एलवीएम-3x के द्वारा दो बड़े ठोस राकेट बूस्टर और राकेट द्रव (मध्य) का परीक्षण किया गया।
अप्रैल, 2015 तक चार नौवहन (नेवीगेशन) उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण ने अंतरिक्ष में भारत की सफलताओं में नये अध्याय जोड़े हैं। इनके द्वारा भारत में सड़क, रेल तथा वायु परिवहन सेवाओं में समय, स्थिति तथा गति सम्बन्धी जानकारी को सटीक बनाकर यात्राओं को सुरक्षित एवं मंगलमय बनाया जा सकेगा।
नवीनतम – 15 फरवरी, 2017 को पीएसएलवी-सी 37 के द्वारा एक साथ 104 उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर इसरो ने अंतरिक्ष में भारत की सफलताओं में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। जून 2016 में इसरो ने एक ही राकेट पीएसएलवी द्वारा 20 उपग्रह प्रक्षेपित किये थे जिनका कुल भार 1288 किलोग्राम था। अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम भारत की धाक दुनिया पर जमाने में मजबूत स्तम्भ बन गये हैं।