Hindi, asked by vikrant1810, 1 year ago

nibandh on baal majdoori in hindi...

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Answered by cathrin12
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heya friend....

भारत एक बहुत बड़ा देश है। यहाँ कि आबादी भी बहुत अधिक है। अधिक आबादी के कारण विभिन्न तरह की विषमताएँ विद्यमान रहती हैं। देश इतनी सारी आबादी के लिए रोज़गार, भोजन, बिजली, पानी, आवासीय सुविधा आदि जुटाने में स्वयं को असमर्थ पाता है। नतीजा यह निकलता है- गरीबी, भुखमरी, बीमारियाँ इत्यादि।

भारत में आबादी का एक बहुत बड़ा भाग गरीबी रेखा के नीचे आता है। जिन्हें नौकरी, रोटी, कपड़ा सरलता से नहीं मिल पाते, वे सब इस रेखा के अंदर आते हैं। इस तरह के हालत ऐसे लोगों के अधिक होते हैं, जिनका परिवार बहुत बड़ा होता है और कमाने वाले बहुत ही कम। परिमाणस्वरूप हालत ऐसे बन जाते हैं कि इन परिवारों के बच्चे छोटी-छोटी उम्र में कमाने के लिए घर से बाहर जाने लगते हैं।

छोटी उम्र में नौकरी करने के कारण ये बाल श्रमिक या बाल मजदूर कहलाते हैं। लोग इनकी छोटी उम्र को देखते हुए, इनसे काम अधिक करवाते हैं और पैसे कम देते हैं। पढ़ने की उम्र में रोटी के लालच में यह हर स्थान पर नौकरी करते देखे जाते हैं। अधिकतर गाँवों से रहने आए परिवारों, गरीब परिवारों, अशिक्षित परिवारों के बच्चे बाल श्रमिकों बन जाते हैं। घर के सदस्यों की सोच यही होती है कि परिवार जितना बड़ा होगा कमाने वाले अधिक परन्तु वह यह भूल जाते हैं कि छोटी उम्र में नौकरी करने से बच्चों का विकास और जीवन रूक जाता है।

पढ़ने की उम्र में वह नौकरी करने लगते हैं परन्तु जब नौकरी की उम्र आती है, तो उनके पास नौकरी नहीं होती। क्योंकि बाल अवस्था में कोई भी उन्हें कम पैसे में रखने के लिए तैयार हो जाता था परन्तु बाद में कोई उन्हें नौकरी नहीं देता है। इसका बुरा असर यह पड़ता है कि इन्हें चोरी-चाकरी करनी पड़ती है। बाल श्रमिक का जीवन भी कोई बहुत अच्छा नहीं होता है। उन्हें उनके परिश्रम के अनुसार मेहनताना नहीं मिलता है। मालिक द्वारा अधिक प्रताड़ित किया जाता है।

सरकार ने बाल श्रमिकों की बढ़ती संख्या देखते हुए। इस ओर कानूनों में सख्ती की है। सरकार के अनुसार १८ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नौकरी में रखना दण्डनीय अपराध है और दण्डभोगी को ६ महीने की कारावास की सज़ा भी मिल सकती है। 

Answered by sakshi193452
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