Nibandh on global warming in hindi
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जैसा कि नाम से ही साफ है, ग्लोबल वार्मिंग धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। हमारी धरती प्राकृतिक तौर पर सूर्य की किरणों से उष्मा ( हीट, गर्मी ) प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल ( एटमास्पिफयर) से गुजरती हुईं धरती की सतह (जमीन, बेस) से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित ( रिफलेक्शन) होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश ( मोस्ट आफ देम, बहुत अधिक ) धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण ( लेयर, कवर ) बना लेती हैं। यह आवरण लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब ( इट इस रिकाल्ड, मालूम होना ) है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन ( अधिक मोटा होना) या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव ( साइड इफेक्ट) ।
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ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा :
धरती के वातावरण में तापमान के लगातार विश्वव्यापी बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं
वार्मिंग का अर्थ:
पृथ्वी के निकट स्थित हवाई और महासागर की औसत मैं बीसवीं शताब्दी हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है पृथ्वी की सतह निकट विश्व की आयु के औषध तापमान में 2500 वर्षों के दौरान 0.74 प्लस माइनस 0.8 डिग्री सेल्सियस
ग्लोबल वार्मिंग का प्राकृतिक कारण :
ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जरूरतमंद ग्रीन हाउस गैसें हैं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ग्रीन कार्बन डाइऑक्साइड है जिसे हम जीवित प्राणी अपनी सास के लिए उत्सर्जन करते हैं पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी में प्रवेश कर यहां का तापमान बढ़ाने में कारक बनती है कार्बन डाइऑक्साइड वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन इसी तरह चलता रहा किस शताब्दी में हमारे पृथ्वी का तापमान 3 सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे बर्फ की चादर बिछी जाएगी समुद्र का जल स्तर बढ़ जाएगा समुद्र के जलस्तर को भरने से पृथ्वी के कई हिस्से जल में लीन हो भारी तबाही मचाई या फिर किसी विश्व युद्ध ईश्वर के पृथ्वी से टकराने से वाली तबाई से भी ज्यादा भयानक होती है