Nibandh on hamari prithvi ko kathra hamari is mansikta se h ki koi or ise bacha lega
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मैं इस सोच से बिलकुल सहमत हूँ | पृथ्वी को इस मानसिकता से बहुत बड़ा खतरा है | क्योकि आखिर कोई कदम नहीं उठाएगा और सब लोग पर्यावरण , पानी , हवा सब चीजों को बर्बाद करते रहेंगे तो क्या होगा | रॉबर्ट स्वान ने इस वाकया कही है | उनहोंने उत्तर और दक्षिण ध्रुवों को बचाने का वादा किया | वहां पर तेल का ड्रिलिंग होता है | जंतुओं का, हिम का, बर्फ का , हवा का , मछिलियों का नुक्सान हो रहा है | बहुत सरे देशों ने वहां पर आक्रमण किया हुआ है | सन 2041 तक पोलार देश अंतरजातीय होगा | कम से कम तब तक कुछ न कुछ अच्छा नतीजा निकले, यह उनका आशंका है |
इस सोच से हम लोगों को निकलना है | इसी लिए कुछ व्यवस्थाएं लोगों के सोच को बदलने की कोशिश करते हैं | बच्चों को स्कूल में कालेज में पढ़ाई के रूप में सारे विषय पढ़ाते हैं |
पृथ्वी को खतरा है तो अणु संबंधी खचरा से, ग्रीनहाउस गासों से , पेट्रोल जलानेसे निकलते हुए धूप से, केमिकल जो जहर होते है अगर पीने के पानी में मिलाये तो, अगर हम वन, वृक्ष नाश करें तो, कुछ खराब खाद जो खेतों में फसल ज्यादा होने के लिए डालते हैं - उनसे, और प्लास्टिक थैलियोसे जो पानी को ख़राब करते हैं और खाने की चीजों को भी ख़राब करते हैं | और भी है जैसे कि इलेक्ट्रोनिक खचरा (इ-वेस्ट) |
कुछ सालों से उद्योगपति भी बदल रहे हैं | नयी नयी गाडियां जो प्रदूषण नहीं करते हैं बनाने लगे हैं | और आजकल सोलार परिकरण, वाहन, सोलार विद्य्क्ति (बिजली) के उपकरण भी बन रहे हैं | भारत में तो बदलाव आने लगा है | लेकिन कुछ आफ्रीका के कुछ जगहों में अभी भी कुछ पुराने आदत और प्राक्टीस चल रहे हैं | इनको बदलना है |
नयी सोच आने मैं और दुनिया के सारे लोगों में बदलाव आने में बहुत लम्बा समय तो लगेगा | क्योंकि इसके लिए पैसे तो बहुत ज्यादा लगेगा और नए तकनीकी की आवश्यकता होगी | हम आजकल तो "पृथ्वी दिन" (Earth Day) मनाते हैं | स्कूलों में प्रत्योगिताओं का निर्वहण करते हैं | दुनिया के कुछ सरकार मिलकर पर्यावरण और जंतु जाल के आरक्षण के लिए कुछ नियम, दिशा-निर्देश भी बनाएं हैं | धीरे धीरे यह सब लागू होंगे |
रोबर्ट स्वान एक अंग्रेजी शोधक (explorer) है | वे
उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव तक पैदल गया | उनहोंने उत्तर और दक्षिण ध्रुवों को बचाने का वादा किया | अन्टार्क्टिका पर सन 1986 में एक ठंडा मौसम गुजरा
और 900 मील पैदल चले धुर्व (पोल) तक | आर्कटिक पोल (उत्तर द्रव) तक 1989 में गए | वहां पर
बहुत सारा कचरा साफ किया | जब वहां थे, वहां का बर्फ पिघल गया था | शायद ग्लोबल
वार्मिंग के कारण ही ऐसा हुआ था|
ध्रुव पर उन्होंने उधर के पर्वयारण और जंतु जाल की स्तिथि देखी | वहां कि स्थिति उन्हें ठीक नहीं लगी | उन्हों ने यह बात कही है | हमारे कर्मों से उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव बर्बाद होने से बचाना है | यही उनका मुख्य सोच और कर्तव्य हैं | उन्होंने “2041” नाम का एक कंपनी स्थापित किया | और “My Quest to save the Earth’s Last Wilderness” नाम का एक किताब भी लिखी | उन्हों ने UNO का भूमि का विकास पर पहले समावेश (1992) में भाषण दिया |
मैं यही आशा करूँगा कि सब लोग अपना कर्तव्य ये समझे कि जैसे हम अपना घर सँभालते हैं गिरने से , बर्बाद होने से, वैसे ही धरती माँ को भी समझे और बचाएं |