Nibandh on nadi kinare ek shaam in hindi
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नदी के किनारे पहुँचकर हमने दोनों साइकिलें एक जंजीर में बाधकर ताला लगा दिया और एक पड़े को बताकर हम घाट पर आ गए । नदी का दृश्य बड़ा सुहावना लग रहा था । रविवार का दिन था, इसलिए घाट पर अनेक पुरुष, रत्री और बच्चे थे ।
वे नदी में किल्लोल कर रहे थे । कुछ लोग गहरे में तैर रहे थे और जो लोग तैरना नहीं जानते थे, वे किनारे ही पानी में डुबकियाँ लगा रहे थे और एक-दूसरे पर पानी के छींटे मार-मार हंस-खेल रहे थे । थोड़ी दूर पर ही कुछ लोग फींच-फींच कर साबुन से कपड़े धो रहे थे ।
छोटे-छोटे बच्चे अपने माँ-बाप की गोद में थे, जो उन्हें पानी में डुबकी लगवा रहे थे और उछाल-उछाल कर आनंदित हो रहे थे । कुछ बच्चे नदी के किनारे की ठंडी बालू में खेल रहे थे । एक ओर कुछ लड़कियों बालू के घरौंदे बना रही थीं । नदी पर अनेक नावें तैर रही थीं । कॉलेज के कुछ विद्यार्थी रचर्य नाव चला रहे थे । नावें नदी की धारा में बहती हुई बड़ी सुन्दर दिख रही थीं ।
थोडी दूर पर धोबी घाट दिखाई दे रहा था । वही बहुत-से धोबी नदी किनारे पत्थर के पाट पर कपड़े पीट रहे थे और धो-धो कर निचोड़ते और अपनी पत्नी तथा बच्चों को पकड़ाते जाते थे । वे उन्हें बालू पर सूखा रहे थे । दूर हमें कुछ मछुआसे की पाल लगी नावें दिख रही थीं । वे नाव से घुमा कर नदी में जाल फेंक देते थे और मछलियों के फंसने की प्रतीक्षा कर रहे थे ।
वे नदी में किल्लोल कर रहे थे । कुछ लोग गहरे में तैर रहे थे और जो लोग तैरना नहीं जानते थे, वे किनारे ही पानी में डुबकियाँ लगा रहे थे और एक-दूसरे पर पानी के छींटे मार-मार हंस-खेल रहे थे । थोड़ी दूर पर ही कुछ लोग फींच-फींच कर साबुन से कपड़े धो रहे थे ।
छोटे-छोटे बच्चे अपने माँ-बाप की गोद में थे, जो उन्हें पानी में डुबकी लगवा रहे थे और उछाल-उछाल कर आनंदित हो रहे थे । कुछ बच्चे नदी के किनारे की ठंडी बालू में खेल रहे थे । एक ओर कुछ लड़कियों बालू के घरौंदे बना रही थीं । नदी पर अनेक नावें तैर रही थीं । कॉलेज के कुछ विद्यार्थी रचर्य नाव चला रहे थे । नावें नदी की धारा में बहती हुई बड़ी सुन्दर दिख रही थीं ।
थोडी दूर पर धोबी घाट दिखाई दे रहा था । वही बहुत-से धोबी नदी किनारे पत्थर के पाट पर कपड़े पीट रहे थे और धो-धो कर निचोड़ते और अपनी पत्नी तथा बच्चों को पकड़ाते जाते थे । वे उन्हें बालू पर सूखा रहे थे । दूर हमें कुछ मछुआसे की पाल लगी नावें दिख रही थीं । वे नाव से घुमा कर नदी में जाल फेंक देते थे और मछलियों के फंसने की प्रतीक्षा कर रहे थे ।
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मैं और मेरी सहेली कल शाम नदी किनारे गए थे I वहां जाकर हमने साइकिल चलाई और दोनों नंगे पैर किनारे के पास गीली रेत में चले I हमें वहां बहुत अच्छा लगा I वहां हमारे अलावा और भी बहुत लोग थे जो कि वहां पर घूमने आए थे I उनके बच्चे आपस में गेंद के साथ खेल रहे थे I नदी किनारे नारियल पानी वाले ने नारियल पानी की दुकान लगा रखी थी I वहां आसपास में भी काफी दुकाने थी जो कुछ कुछ सामान जैसे बालियां आदि बेच रहे थी I लोग नदी के किनारे आपस में बात करते हुए घूम रहे थे I नदी किनारे बैठ कर हमने सूर्य छिपता देखा I हमारा कल का दिन नदी किनारे बहुत अच्छा गुजरा I
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