Hindi, asked by stary, 1 year ago

Nibandh on pakshi aur paryavaran

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Answered by ASC435
22

Answer:

वातावरण एक प्राकृतिक परिवेश है जो पृथ्वी नामक इस ग्रह पर जीवन को विकसित, पोषित और नष्ट होने में मदद करता है। प्राकृतिक वातावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक बड़ी भूमिका निभाता है और यह मनुष्यों, पशुओं और अन्य जीवित चीजो को बढ़ने और स्वाभाविक रूप से विकसित होने में मदद करता है। लेकिन मनुष्य के कुछ बुरे और स्वार्थी गतिविधियों के कारण हमारा पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है और हर किसी को हमारे पर्यावरण को कैसे बचाया जाये और इसे सुरक्षित रखने के बारे में जानना चाहिए ताकि इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को जारी रखने के लिए प्रकृति का संतुलन सुनिश्चित हो सके|

पक्षी उड़ने वाले जीव हैं । ये आसमान में पंख फैलाकर उड़ते हैं तो आकर्षक दृश्य उपस्थित हो जाता है । प्रभात और सायंकाल में इनकी किलकारी से धरती गुंजित हो उठती है । इनके निवास से वन-प्रांतों की शोभा निखर उठती है । इनके आकर्षक रंगों से हर कोई मोहित हो जाता है ।

पक्षी प्रकृति से गहराई से जुड़े होते हैं । ये जंगलों में, झाड़ियों में तथा वृक्षों पर घोंसला बनाकर रहते हैं । जहाँ थोड़ी सी हरियाली देखी वहीं बसेरा बना लिया । खर-पतवार इकट्‌ठा किया, तिनका-तिनका जोड़ा और घोंसला बना लिया । कुछ पक्षी तो घोंसला बनाने में बहुत निपुण होते हैं, जैसे कि बया पक्षी का घोंसला । इनके घोंसले की बनाव देखते ही बनती है । कुछ पक्षी घोंसला न बनाकर पेड़ की कोटर में आशियाना बना लेते हैं । कठफोड़वा पक्षी काठ में छिद्र बना लेता है । मोर जैसे कुछ बड़े पक्षी घोंसला न बनाकर झाड़ियों में शरण लेते हैं ।

पक्षी हमारे पर्यावरण के अभिन्न हिस्से हैं । परंतु अवैध शिकार एवं वन क्षेत्र घटने से कुछ पक्षियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं । इनमें से कुछ दुर्लभ होते जा रहे हैं । सरकार ने इनके सुरक्षित निवास के लिए वन्य जीव अधिनियम एवं अभयारण्य बनाए हैं । लोगों को दुर्लभ पक्षियों को बचाने के लिए उचित प्रयास

Answered by dikshant3538
4

Answer:

वातावरण एक प्राकृतिक परिवेश है जो पृथ्वी नामक इस ग्रह पर जीवन को विकसित, पोषित और नष्ट होने में मदद करता है। प्राकृतिक वातावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक बड़ी भूमिका निभाता है और यह मनुष्यों, पशुओं और अन्य जीवित चीजो को बढ़ने और स्वाभाविक रूप से विकसित होने में मदद करता है। लेकिन मनुष्य के कुछ बुरे और स्वार्थी गतिविधियों के कारण हमारा पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है और हर किसी को हमारे पर्यावरण को कैसे बचाया जाये और इसे सुरक्षित रखने के बारे में जानना चाहिए ताकि इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को जारी रखने के लिए प्रकृति का संतुलन सुनिश्चित हो सके|

पक्षी उड़ने वाले जीव हैं । ये आसमान में पंख फैलाकर उड़ते हैं तो आकर्षक दृश्य उपस्थित हो जाता है । प्रभात और सायंकाल में इनकी किलकारी से धरती गुंजित हो उठती है । इनके निवास से वन-प्रांतों की शोभा निखर उठती है । इनके आकर्षक रंगों से हर कोई मोहित हो जाता है ।

पक्षी प्रकृति से गहराई से जुड़े होते हैं । ये जंगलों में, झाड़ियों में तथा वृक्षों पर घोंसला बनाकर रहते हैं । जहाँ थोड़ी सी हरियाली देखी वहीं बसेरा बना लिया । खर-पतवार इकट्‌ठा किया, तिनका-तिनका जोड़ा और घोंसला बना लिया । कुछ पक्षी तो घोंसला बनाने में बहुत निपुण होते हैं, जैसे कि बया पक्षी का घोंसला । इनके घोंसले की बनाव देखते ही बनती है । कुछ पक्षी घोंसला न बनाकर पेड़ की कोटर में आशियाना बना लेते हैं । कठफोड़वा पक्षी काठ में छिद्र बना लेता है । मोर जैसे कुछ बड़े पक्षी घोंसला न बनाकर झाड़ियों में शरण लेते हैं ।

पक्षी हमारे पर्यावरण के अभिन्न हिस्से हैं । परंतु अवैध शिकार एवं वन क्षेत्र घटने से कुछ पक्षियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं । इनमें से कुछ दुर्लभ होते जा रहे हैं । सरकार ने इनके सुरक्षित निवास के लिए वन्य जीव अधिनियम एवं अभयारण्य बनाए हैं । लोगों को दुर्लभ पक्षियों को बचाने के लिए उचित प्रयास करने चाहिए ।

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