Hindi, asked by coolanjali2000, 1 year ago

nibandh on prakriti ka pratikar

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Answered by sheetal2015
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प्रकृति का प्रतिकार , प्राकृतिक आपदाओं के रूप मे दिखाई देता है। आज के आधुनिक युग मे उद्योगिकीकरण और मशीनीकरण के कारण आज हम प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे है। जिससे प्रकृति का प्रतिकार , प्राकृतिक आपदाओं के रूप मे दिखाई देता है। बाढ़ , भूकंप , तूफान , सुनामी आदि प्राकृतिक आपदाए है। जिस क्षेत्र मे इस तरह की कोई आपदा आती है तो वहाँ निवास करने वाले सभी मनुष्य एवं जीव जन्तुओं का सामान्य जीवन प्रभावित हो जाता है । अगर आपदा बहुत तीव्र है तो जन धन की हानी भी होती है । मनुष्य समाज प्रदूषण को बढ़ा रहा है जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या हो रही है । ये भी प्रकृति का प्रतिकार ही है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई , मिट्टी का कटाव , ग्लोबल वार्मिंग आदि बाढ़ के लिए जिम्मेदार है। अत्यधिक वर्षा के कारण भूमि के बहुत बड़े क्षेत्रफल पर नदी , नहर आदि के जल का फैल जाने की स्थिति ही बाढ़ कहलाती है । सामान्यतः नदी के आसपास वाले इलाको मे , वर्षा ऋतु के समय बाढ़ आने की संभावना अधिक होती है । गाँव , कस्बे ,शहर आदि मे बाढ़ आने की वजह से जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है । कई बार बाढ़ आने की वजह से मकान ढह जाते है , जन धन की हानि भी होती है । बाढ़ से फ़सले भी नष्ट हो जाती है या फिर उन्हे काफी नुकसान हो जाता है । ब्रह्मपुत्र् ,गंगा, दामोदर ,कोसी , आदि भारत की नदियो द्वारा लगभग हर साल आसपास के इलाको मे बाढ़ लाई जाती है। अभी कुछ वर्ष पूर्व , उतराखंड मे आई बाढ़ मे हजारो लोग मारे गए। प्रकृति का प्रतिकार एक अन्य रूप भूकम्म्प के रूप मे भी दिखता है। भूकंप से धरती हिलने लगती है और अगर भूकंप की तीव्रता अधिक हो तो इमारते , मकान , ब्रिज आदि ढहने लगते है। मकान गिरने से कई लोगो की मौत भी हो जाती है । भारत मे कच्छ (गुजरात ) तथा नेपाल मे हाल ही मे आए भूकंप से हजारो लोगो की मौत हुई । भूकंप को रिक्टर पैमाने पर नापा जाता है । हम सभी को प्रकृति का सम्मान करना चाहिए एवं प्रकृति से उतना ही लेना चाहिए जितना हम प्रकृति को वापस दे सके।
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