Nibandh on sahaspurna jeevan
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साहस
कुछ पाकर खो देने का डर कुछ न पा सकने का भय, जिन्दगी की गाङी पटरी से उतर न जाए इन्ही छोटी-छोटी चिन्तओं के डर से घिरी रहती है जिन्दगी लेकिन जिस वक्त हम ठान लेते हैं कुछ नया करने का तभी जन्म लेतासाहस तभी आता है जब आपके पास एक मकसद हो, एक जूनून हो। कह सकते हैं कि साहस एक जिजिविषा है। भारतमुनि ने नाट्यशास्त्र में लिखा है— है साहस।सः चविषादशक्ति धैर्यशैर्यादिभिविर्भावैरूत्पद्यते, अर्थात साहस- अविषाद, शक्ति, शौर्य, धैर्य आदि विभावों से उत्पन्न होता है। दुनिया के सभी धर्मों में साहस को श्रेष्ठ स्थान दिया गया है। इसका स्थान इसलिये भी बङा हो जाता है कि इस प्रवृत्ति से समाज एवं मानवता को लाभ पहुंचता है।
कोलम्बस अपनी सुख सुविधा छोङकर दुस्साहसिक यात्रा पर निकल पङते थे। व्हेनसाँग और फाह्यान तो पैदल ही हिमालय के मुश्किल रास्तों को, बाधाओं को लांघते भारत पहुंचे थे। वासकोडिगामा जैसे इन सभी साहसिक प्रवृत्ति वाले लोगों ने दुनिया को अनजानी जगहों से रू ब रू कराया।
साहस का सकारक्मकता से गहरा रिश्ता है। ये सकारक्मकता ही थी कि कोपरनिकस, अरस्तु, सकुरात गैलिलीयो जैसे लोग बङे उद्देश्य के लिये साहस का प्रदर्शन कर सके। सकारात्मकता नैतिक साहस को बढाती है। प्लेटो ने कहा कि साहस हमें डर से मुकाबला करना सिखाता है। साहसिक नेता गाँधी, नेलसेन मेंडेला, मार्टिन लूथर किंग जू. , ऑग सान सू की साहसिक पहल ने अन्याय के खिलाफ विशाल जनमत को खङा किया।
बहाव के विपरीत तैरने वाली सालमन मछली, जैसी- कई महिलाओं को आज भी उनके साहस के लिये याद किया जाता है। अफ्रिकी आयरन लेडी कहलाने वाली लाएबेरिया की राष्ट्रपति ऐलेन जॉनसन सरलिफ को शान्ति का नोबल पुरस्कार मिल चुका है। सरलिफ ने शान्ति की स्थापना के साथ ही समाजिक एवं आर्थिक विकास पर भी ध्यान दिया। रानी लक्षमीबाई ने अपने साहस के बल पर ही अंग्रेजों की विशाल सेना का डट कर मुकाबला किया।
साहस को उम्र या अनुभव से नही आंक सकते। बिरसा मुडां ने 25 वर्ष की उम्र में लोगों को एकत्र कर एक ऐसे आन्दोलन का संचालन किया जिसने देश की स्वतंत्रता में अहम योगदान दिया। आदिवासी समाज में एकता लाकर धर्मान्तरण को रोका और दमन के खिलाफ आवाज उठाई।
साहसपूर्ण जीवन केवल एक सीढी नही है वो तो अंतहीन सिलसिला है जिससे हर सीढी के बाद नया आत्मविश्वास मिलता है। पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल का कहना है कि जैसे-जैसे चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, साहस और हिम्मत बढती जाती है। अंदर का भय कहाँ चला जाता है पता ही नही चलता है।
संक्लपवान साहसी स्टिफन ने 1974 में ब्लैकहोल के संबन्ध में क्रान्तीकारी खोज की। स्टिफन हॉकिंग ‘एमियोट्राफिक लैटरल स्किल ऑरेसिस’ बिमारी से लङ रहे हैं जिसका कोई इलाज नही है, फिर भी स्टिफन हॉकिंग अपने कार्य में तल्लीन हैं। स्टिफन ने कई किताबें भी लिखी है।
जीत साहस नही है, बल्कि वह संर्घष साहस है, जो हम सब जीतने के लिये करते है। साहस केवल दैहिक क्षमता के हिंसक प्रर्दशन या भयानक हुंकार नही है। सफल न होने पर अगले प्रयास के लिये ऊर्जा जुटाना भी साहस ही तो है।