Nibandh on vriksh hamare sachhe mitra
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पेड़ हमारे सबसे अच्छे मित्र हैं, वे बेस्वार्थ हमें अपने अमूल्य रत्न देते हैं. मगर यह विडम्बना ही है कि हम पेड़ों को अपना दुश्मन मान बैठे हैं. निरंतर पेड़ों की कटाई करने से बाज नहीं आ रहे हैं, वन निरंतर समाप्त हो रहे हैं. प्रदूषण की समस्या ने सम्पूर्ण पर्यावरण को जकड़ लिया हैं. हमने जिस सुरक्षा कवच को तोड़ने का साहस किया है, यदि समय रहते हमने अपनी नादानियाँ बंद नही की तो इसका परिणाम बेहद भयानक होगा.
क्या हम अपना घर, घर में काम आने वाली लकड़ी की वस्तुएं उपयोग में ले पाते. क्या जून महीने की दोपहरी में छायादार वृक्षों की छाया जैसा आनन्द हमें कोई एयरकंडिशनर दे पाएगा. पेड़ों का सुकून उनके हमारे घरों बगीचों एवं खेतों में लहलहाते समय ही मिलता हैं. हमें तमाम तरह के फल और फूल इन पेड़ों की ही देन हैं जो पाताल से जल सोखकर आम, केला, नारियल, सेब जैसे हजारों फल व सब्जियां मुफ्त में देकर हमारा पेट भरने का काम करते हैं.
हमें चाहिए कि हम पेड़ों को अपना मित्र समझे, समय समय पर वृक्षारोपण करे तथा लोगों को भी जागरूक करे, ताकि भविष्य में आने वाली बड़ी समस्याओं को समय रहते टाला जा सके. पेड़ कई प्राकृतिक आपदाओं में हमारे रक्षक के रूप में पहरा देते हैं. हमें यह संदेश जन जन तक पहुचाकर तेजी से हो रही वृक्षों की कटाई पर रोकथाम लगानी होगी.
धरती पर पेड़ ही हमारे सबसे अच्छे मित्र हैं, हम उन्हें एक बाल्टी भर पानी और उसकी देखभाल तक नहीं कर सकते मगर पेड़ अपना कर्तव्य पूर्ण निष्ठा के साथ निभाते हैं. परोपकारी पेड़ों से सीखकर हमें उनकी इस ईमानदारी के साथ कर्तव्य पालन के गुण को अपनाना चाहिए. तेज गर्मी में जब शरीर तर बतर हो जाता है तो पेड़ ही हमारा सहारा बनते है तथा अपनी ठंडी छाव में हमें विश्राम करने का अवसर देते हैं.
व्यक्ति जब भी जीवन में थकावट महसूस करता हैं. तो वह हरी भरी हरियाली तथा घने पेड़ों से सुसज्जित प्रकृति की गोद में जा बैठता हैं. प्रकृति का यह हरा रंग, एकांत का माहौल, स्वच्छ वायु जीवन में नई ताजगी एवं उत्साह भर देते हैं. हम पर्यटन के लिए वनों का रूख करते है, क्योंकि घने पेड़ों के बीच हमारे मन को शान्ति मिलती हैं. मगर हम इसी तरह प्रकृति के दुश्मन बनकर मित्र रुपी पेड़ों को काटना जारी रखेगे तो हरा रंग देखने तथा हरियाली के दर्शन को आँखे तरस जाएगी. यह पेड़ उगाओ धरती बचाओ।
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