nibandh yadi Main Kitab hota 150 to 200
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घर में एक किताब होती तो उस बच्चे से कहती मुझे कभी मत पढ़ो अच्छे से पढ़ो मैं तुम्हें ज्ञान दूंगी मैं तुम्हें साइंटिस्ट हर चीज बना सकते हो जो तुम अकेले नहीं बन सकते मैं तुम्हारी एक अच्छी दोस्त हूं मैं तुम्हें पढ़ने में बहुत मदद करूंगी और जो तुम ही ना आए तो अपने शिक्षक से पूछना क्योंकि वह शिक्षक वह वैज्ञानिक मुझे पर के बने हैं मेरे बिना सब कुछ अधूरा मैं अगर नहीं होती तो यह दुनिया ही किया
यदि मैं पुस्तक होता तो कितना अच्छा होता मैं अन्य पुस्तकों की तरह दूसरों को ज्ञान प्रदान करने वाला कार्य करता। मेरी वजह से लोग ज्ञान प्राप्त करके जीवन में आगे बढ़ते। यदि मैं पुस्तक होता तो हमेशा सिर्फ दूसरों के लिए ही अपना जीवन जीता, कभी भी में स्वार्थी ना बनता ।
मैं पुस्तक होता तो मैं भी पुस्तकों की दुकान पर अन्य पुस्तकों के साथ रखा होता और यह सोचता कि काश मुझे कोई खरीदने आ जाए और मैं उसके घर जाऊं। लोग मुझे पढे और मेरे द्वारा कुछ ज्ञान प्राप्त करें, मुझे दुकान में रहते रहते काफी इंतजार करना पड़ता हैं। कई दिनों बाद मैं भी किसी के साथ चला जाता और फिर उस व्यक्ति की शिक्षा को बढ़ाने में मदद करता ।
यदि मैं पुस्तक होता तो सच में मुझे बहुत ही खुशी होती क्योंकि बच्चे सुबह सुबह पुस्तकों की ओर ही ध्यान देते हैं। यदि वह सुबह-सुबह पुस्तके नहीं पढ़ते तो उनके माता-पिता माता-पिता तो पुस्तके नहीं पढ़ते तो उनके माता-पिता उन्हें पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। वह कहते हैं कि पुस्तक ज्ञान देती है, पुस्तक पढ़ने से तुम जीवन में आगे बढ़ोगे, सफलता की बुलंदियों को छुओगे, अपने लक्ष्य तक पहुंच पाओगे। माता पिता की इस तरह की इस तरह की बातों की वजह से बच्चों को सुबह सुबह मुझे पढ़ना पड़ता हैं।