nibhand likhe humara rashtriy parv durga puja
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दुर्गा पूजा
दुर्गापूजा भारतवर्ष का महत्वपूर्ण त्यौहार है । यह धार्मिक अनुष्ठान मूलत: शक्ति की आराधना के लिए आयोजित किया जाता है । मानसिक, शारीरिक और भौतिक समृद्धि के लिए की जाने वाली आराधना ही दुर्गा की अराधना है जिसे १० दिनों तक मनाया जाता है ।
“दुर्गा”: दुखेन गम्यते प्राप्यतेवा-की आराधना दस पापों अनवधानता, असमर्थता, आत्मवंचकता, आकर्मण्यता, दीनता, भीरुता, परमुखापेक्षिता, शिथिलता, संकीर्णता और स्वार्थपरता से मुक्ति की आराधना है । इसलिए इसे दशहरा के नाम से दुर्गतिनाशनी दारिद्र्यदु : खभयहारिणी मुक्ति प्रदायिनी, विश्वेश वन्ध्या, विश्वेश्वरी दुर्गा की आराधना विभिन्न क्षेत्रों में मनोहर ढंग से मनाया जाता है ।
शरद के मधुमय आगमन के साथ ही माँ दुर्गा की रंग-विरंगी भव्य मुर्तियों का निर्माण आरंभ हो जाता है । महिषासुर की छाती में बरछा धराए हुए दुर्गा का एक पैर महिषासुर की छाती पर रहता है और दूसरा पैर सिंह की पीठ पर ।
रण क्रीड़ा में बिखरे केश, ललाट पर तेजस्विता नयनों में वीरता का दर्प, मुख पर पुर्णेंदुसदृश निर्भीकता, कंद पुष्प की आभा से युक्त आक्लांत यौवन के सर्वाभूषण भूषिता रूप का दर्शन करने के लिए सभी उमड़ पड़ते है । साथ ही पूजामंडप भी उरपनी कलाकृति और साजसज्जा के कारण लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन जाते हैं ।
दुर्गा के दस हाथों में दस शस्त्र-त्रिशुल खड़ग, चक्र, बाण, शक्ति, गदा, धनुष, पाश अकुंश और फरसा (बरछा) सुशोभित रहता है । उनके दाएं भाग में लक्ष्मी और बाएं भाग में सरस्वती विराजती हैं । लक्ष्मी के दाएं भाग में गणेश और सरस्वती के बाएं भाग में कार्तिकेय विराजते हैं ।
यह समारोह दस दिनों तक अपनी पराकाष्ठा पर रहता है । पूरे क्षेत्र के आबाल-वृद्ध, नर-नारी नवीन वस्त्रों में सुसज्जित हो कर देवी की आराधना और दर्शन करते हैं; प्रसाद चढ़ाते हैं । विभिन्न स्थलों पर मेला का उपायोजन होता है । मेले में विभिन्न प्रकार के झूलनों का आनन्द भी उठाया जाता है ।
दशमी के दिन जुलूस के साथ जय-जयकार करते हुए भक्त जन माँ दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा का नदी में विसर्जन करते हैं । यह उत्सव केवल आनन्द और उल्लास के लिए आयोजित नही होता वरन गूढ रहस्य है । बल महाशक्ति रूपी दुर्गा के पास भी है, आसुरी वृत्ति युक्त राक्षसों के पास भी ।
किन्तु राक्षसों का बल बुद्धिविरहित और अकल्याणकारी है, इसलिए त्याज्य है । माँ का बल कल्याणकारी और विवेक संपन्न है, इसलिए अराध्य और अनुकरणीय है ।
दुर्गा पूजा के समय पूरे क्षेत्र में सारी रात चहल-पहल रहती है । जिधर देखिए आने-जाने वालों की भीड़ है, मोटरगाड़ियों की आवाजाही है । चारों ओर जगमगाती रोशनी, खुशियों और उमंगों की बहार लुटाती रहती है । किन्तु क्या हमने इस पर्व के रहस्य को जाना है ? इसके मर्म को पहचाना है ? हमें इस पर्व के महत्व और मर्म को भी जानना चाहिए और आसुरी-वृत्ति से संघर्ष कर अपने राष्ट्र को समुन्नति की ओर ले जाना चाहिए ।
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Answer:
hmaare desh mein bhahut see tyohaar mannaaye jaate hai bhahut see tyohaar pr sbse Anmol tyohaar ha Durga puja.and write anything about it.at last explain the importance of it.