nibhand on देश के विकास
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देश की उन्नति हमारी उन्नति: हमारा भारत देश की उन्नति हम पर ही निर्भर करती है हमें हमारे देश की उन्नति पर महत्व देते हुए सबसे पहले हमारे क्या कर्तव्य है यह समझना जरूरी एक व्यक्ति उन्नति उसके राष्ट्र उसकी स्वयं की उन्नति है इसके लिए सबसे पहले तो हमारे क्या कर्तव्य है ये समझना होगा आर्थिक विकास में वृद्धि, अनुशासन ,अच्छी
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आजादी के बाद से भारत ने सभी क्षेत्रों में खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सार्थक कदम उठाएं हैं. आधुनिक तकनीक तथा अपने संसाधनों के संतुलित उपयोग के जरिये नई सम्भावनाओं को भी तराशा हैं. कृषि तथा उद्यानिकी में साठ के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति ने तेजी से खाद्यान्न के क्षेत्र में हमने आत्मनिर्भरता हासिल की .शिक्षा में नवाचार, प्रशिक्षण की व्यवस्था एवं आधुनिक स्तर के विद्यालय महाविद्यालय स्थापित कर शिक्षा के शिक्षा में भी पर्याप्त उंचाइयो तक पहुंचे. विज्ञान और तकनीकी और सदुपयोग से हमने डिजिटल भारत जैसे अभियानों से प्रत्येक गाँव के व्यक्ति तक आधुनिक संचार की सुख सुविधाएं प्रदान की हैं. आज चिकित्सा के आयुर्वेदिक व होम्योपैथी की बेहतरीन चिकित्सा पद्धतियाँ हमारे देश में हैं. आजादी के बाद से ही भारत के विकास की धारा गाँव से शुरू की गई, गाँवों को भारत की आत्मा कहा गया हैं. इस कारण अपने संसाधनों का उपयोग गाँवों में भी उसी स्तर पर किया हैं.
विकास की आवश्यकता- स्वतंत्रता के समय हमारा देश पिछड़े देशों में गिना जाता था, धीरे धीरे हमने विकास की सीढियों को चढ़ते विकासशील राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई तथा आज भारत विश्व की महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा हैं. ऐसा नहीं हैं कि हमने विकास के समस्त आयाम प्राप्त कर लिए हैं. अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जो विकास से अछूते रहे हैं. देश के अधिकतर संसाधनों का स्वामित्व आज भी मुट्ठी भर लोगों के पास हैं देश की बहुसंख्यक आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने के लिए मजबूर हैं. देश में कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ आज भी लोग भुखमरी के शिकार हैं. अतः विश्व की महाशक्ति हम तभी बन पाएगे जब हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति सुख सम्पन्न हो.
निष्कर्ष- भारत के विकास के लिए अभी भी बहुत से काम किये जाने की आवश्यकता हैं. दबे कुचले समाज को आज भी मुख्यधारा में लाना बाकी हैं. भारत के संसाधनों पर प्रत्येक नागरिक का हक हैं इसलिए विकेन्द्रीकरण की महत्ती आवश्यकता हैं.