Nibhand on yadi me shiksha mantri hoti to
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मनुष्य के मन की उड़ान ही उसे ऊँचाई की ओर प्रेरित करती है । मनुष्य पहले कल्पनाएँ करता है उसके बाद उन्हें साकार करने की चेष्टा करता है । यदि मनुष्य ने हजारों वर्ष पूर्व कल्पना न की होती तो आज वह अंतरिक्ष में विचरण नहीं कर रहा होता । वह कभी चंद्रमा पर विजय पताका फहराने में सक्षम नहीं हो पाता ।
बचपन से ही मनुष्य बड़ा होकर कुछ बनने या करने का स्वप्न देखता है । इसी प्रकार मैं भी प्राय: अपनी कल्पना की उड़ान में शिक्षा जगत् में अपना योगदान देना चाहता हूँ । मैं भी लाल बहादुर शास्त्री, पं॰ जवाहरलाल नेहरू व डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद की तरह राजनेता बनना चाहता हूँ ।
ये सभी राजनेता साथ-साथ महान विद्वान भी थे । इन्हें देश की समस्याओं की बड़ी गहरी समझ थी । मेरा विचार है कि कोई भी राजनेता यदि शिक्षामंत्री बनना चाहता है तो उसे अच्छा शिक्षाशास्त्री भी होना चाहिए । इसी स्थिति में वह राष्ट्र की उचित सेवा कर सकता है ।
बड़े होकर मैं भी चुनाव में भाग लूँगा । मेरी मंजिल संसद भवन है । लोकसभा सदस्य का चुनाव लड़ने के पश्चात् यदि मैं मंत्रिमंडल का सदस्य बना और मुझे मंत्रिपद के चुनाव के लिए कहा गया तब मैं निश्चित रूप से शिक्षामंत्री का ही पद ग्रहण करूँगा । देश का शिक्षामंत्री बनना मेरे लिए गौरव की बात होगी । मैं इस गौरवान्वित पद की प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी और लगन से अपने दायित्व का निर्वाह करूँगा ।
इसके अतिरिक्त मैं शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानना चाहूँगा तथा इसकी पूर्ण जानकारी लूँगा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए पूर्व मंत्रियों द्वारा क्या-क्या कदम उठाए गए हैं । पूर्व मंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णयों का गहन अवलोकन भी मेरे लिए नितांत आवश्यक होगा ताकि उनमें वांछित संशोधनों का पता लगाया जा सके ।
किसी भी राष्ट्र की प्रगति का अवलोकन उस राष्ट्र के शिक्षा स्तर से लगाया जा सकता है । देश की शिक्षा का स्तर प्रायोगिक न होने से बेरोजगारों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती है । शिक्षा का उद्देश्य तब तक पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता जब तक मनुष्य में आत्मचिंतन की धारा प्रवाहित नहीं होते.
हमारा देश आज बहुत सारी समस्याओं से जूझ रहा है जिसमें गरीबी,बेरोजगारी,अनपढ़ता आदि है मैं शिक्षा मंत्री बनकर लोगों को उचित शिक्षा प्रदान करने की कोशिश करता,हर एक छात्र को ये सुझाव देने की कोशिश करता कि अगर नौकरी नहीं मिलती तो वह खुद का व्यापार करें जिससे बेरोजगारी भी कम होगी और यदि वह सही समय पर अच्छा रोजगार करता है साथ में अच्छी तरह पढ़ाई करता है तो अपने देश से गरीबी भी कम होगी और हमारे देश में पढ़े-लिखे लोगो को समाज में अपने जीवन को चलाने के लिए किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.शिक्षा मंत्री बनकर मैं सबसे पहले अपने सचिवों से शिक्षा के क्षेत्र में आ रही परेशानियों के बारे में जानकारी लेता और उन समस्याओं को पूरी तरह से खत्म करने की मैं कोशिश करता क्योंकि हमारे देश में अगर ज्यादा लोग शिक्षित होंगे और उन्हें उचित ज्ञान प्राप्त होगा तो हमारे देश से अपनेआप ही बड़ी-बड़ी परेशानियां दूर होती चली जाएंगी और हमारा देश विकास करेगा क्योंकि देश का कोई भी इंसान हो हर एक इंसान की शुरूआत शिक्षा से होती है और उचित शिक्षा उसके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव पैदा करती है यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो अपने देश से भेदभाव,ऊंच नीच को खत्म करने का प्रयत्न करता क्योंकि अगर हर शहर में हर तरह के इंसान को बिना कोई भेदभाव किए शिक्षा प्रदान की जाए तो वाकई में हमारा देश आगे बढ़ सकता है शिक्षा मंत्री बनकर में इस तरह के भेदभाव को पूरी तरह से खत्म करना चाहू
इसके अलावा हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में अनुशासन और ईमानदारी का बहुत महत्व है अगर मैं शिक्षा मंत्री होता तो शिक्षकों और विद्यार्थियों को ईमानदारी और अनुशासन का पालन करने को कहता साथ में इसके लिए उचित कार्यवाही करता.आज परीक्षा के टाइम बहुत सारी समस्याओं का सामना हमारे देश को करना पड़ता है विद्यार्थियों के लिए परीक्षा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है जिसमें एक विद्यार्थी की योग्यता का पता लगाकर उसे उचित पद प्रदान किया जाता है लेकिन अगर उनके परीक्षा के समय अनुशासन और ईमानदारी नहीं रखी गई तो हमारे देश के विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है अगर मैं शिक्षा मंत्री होता तो इस और कड़ी से कड़ी कार्रवाई करता कि हर एक अध्यापक,हर एक स्टूडेंट ईमानदारी और अनुशासन के साथ अपने कर्तव्य को पूरा करते.
बचपन से ही मनुष्य बड़ा होकर कुछ बनने या करने का स्वप्न देखता है । इसी प्रकार मैं भी प्राय: अपनी कल्पना की उड़ान में शिक्षा जगत् में अपना योगदान देना चाहता हूँ । मैं भी लाल बहादुर शास्त्री, पं॰ जवाहरलाल नेहरू व डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद की तरह राजनेता बनना चाहता हूँ ।
ये सभी राजनेता साथ-साथ महान विद्वान भी थे । इन्हें देश की समस्याओं की बड़ी गहरी समझ थी । मेरा विचार है कि कोई भी राजनेता यदि शिक्षामंत्री बनना चाहता है तो उसे अच्छा शिक्षाशास्त्री भी होना चाहिए । इसी स्थिति में वह राष्ट्र की उचित सेवा कर सकता है ।
बड़े होकर मैं भी चुनाव में भाग लूँगा । मेरी मंजिल संसद भवन है । लोकसभा सदस्य का चुनाव लड़ने के पश्चात् यदि मैं मंत्रिमंडल का सदस्य बना और मुझे मंत्रिपद के चुनाव के लिए कहा गया तब मैं निश्चित रूप से शिक्षामंत्री का ही पद ग्रहण करूँगा । देश का शिक्षामंत्री बनना मेरे लिए गौरव की बात होगी । मैं इस गौरवान्वित पद की प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी और लगन से अपने दायित्व का निर्वाह करूँगा ।
इसके अतिरिक्त मैं शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानना चाहूँगा तथा इसकी पूर्ण जानकारी लूँगा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए पूर्व मंत्रियों द्वारा क्या-क्या कदम उठाए गए हैं । पूर्व मंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णयों का गहन अवलोकन भी मेरे लिए नितांत आवश्यक होगा ताकि उनमें वांछित संशोधनों का पता लगाया जा सके ।
किसी भी राष्ट्र की प्रगति का अवलोकन उस राष्ट्र के शिक्षा स्तर से लगाया जा सकता है । देश की शिक्षा का स्तर प्रायोगिक न होने से बेरोजगारों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती है । शिक्षा का उद्देश्य तब तक पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता जब तक मनुष्य में आत्मचिंतन की धारा प्रवाहित नहीं होते.
हमारा देश आज बहुत सारी समस्याओं से जूझ रहा है जिसमें गरीबी,बेरोजगारी,अनपढ़ता आदि है मैं शिक्षा मंत्री बनकर लोगों को उचित शिक्षा प्रदान करने की कोशिश करता,हर एक छात्र को ये सुझाव देने की कोशिश करता कि अगर नौकरी नहीं मिलती तो वह खुद का व्यापार करें जिससे बेरोजगारी भी कम होगी और यदि वह सही समय पर अच्छा रोजगार करता है साथ में अच्छी तरह पढ़ाई करता है तो अपने देश से गरीबी भी कम होगी और हमारे देश में पढ़े-लिखे लोगो को समाज में अपने जीवन को चलाने के लिए किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.शिक्षा मंत्री बनकर मैं सबसे पहले अपने सचिवों से शिक्षा के क्षेत्र में आ रही परेशानियों के बारे में जानकारी लेता और उन समस्याओं को पूरी तरह से खत्म करने की मैं कोशिश करता क्योंकि हमारे देश में अगर ज्यादा लोग शिक्षित होंगे और उन्हें उचित ज्ञान प्राप्त होगा तो हमारे देश से अपनेआप ही बड़ी-बड़ी परेशानियां दूर होती चली जाएंगी और हमारा देश विकास करेगा क्योंकि देश का कोई भी इंसान हो हर एक इंसान की शुरूआत शिक्षा से होती है और उचित शिक्षा उसके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव पैदा करती है यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो अपने देश से भेदभाव,ऊंच नीच को खत्म करने का प्रयत्न करता क्योंकि अगर हर शहर में हर तरह के इंसान को बिना कोई भेदभाव किए शिक्षा प्रदान की जाए तो वाकई में हमारा देश आगे बढ़ सकता है शिक्षा मंत्री बनकर में इस तरह के भेदभाव को पूरी तरह से खत्म करना चाहू
इसके अलावा हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में अनुशासन और ईमानदारी का बहुत महत्व है अगर मैं शिक्षा मंत्री होता तो शिक्षकों और विद्यार्थियों को ईमानदारी और अनुशासन का पालन करने को कहता साथ में इसके लिए उचित कार्यवाही करता.आज परीक्षा के टाइम बहुत सारी समस्याओं का सामना हमारे देश को करना पड़ता है विद्यार्थियों के लिए परीक्षा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है जिसमें एक विद्यार्थी की योग्यता का पता लगाकर उसे उचित पद प्रदान किया जाता है लेकिन अगर उनके परीक्षा के समय अनुशासन और ईमानदारी नहीं रखी गई तो हमारे देश के विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है अगर मैं शिक्षा मंत्री होता तो इस और कड़ी से कड़ी कार्रवाई करता कि हर एक अध्यापक,हर एक स्टूडेंट ईमानदारी और अनुशासन के साथ अपने कर्तव्य को पूरा करते.
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