Nikal Raha hai jalnidhi-tal par dinkar-bin adhura'Kamla ke kanchan Mandir Ka mano Kant kangoor' lone ke nij punybhoomi par lashmi ki aswari' ratnakar ne nirmit kar di shwarn sadak ati pyaari' ukt padhansh Ka saprasang vyakhya kijiye
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प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ पथिक कविता से ली गई है| यह कविता रामनरेश त्रिपाठी द्वारा लिखी गई है| कवि ने कविता में समुद्र-तट के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है|
कवि कहते है कि समुद्र जल के सूर्य का प्रतिबिंब अधूरे रूप में निकला हुआ है| ऐसा लग रहा है कि यह बिंब लक्ष्मी देवी के मंदिर का सुन्दर कंगूरा है| पथिक को लगता है कि समुद्र ने अपने आप ही पुण्य-भूमि पर लक्ष्मी की सवारी लाने के लिए प्यारी सोने की सड़क बना दी है | सुबह सूर्य का प्रकाश समुद्र तल पर सुनहरी सड़क का दृश्य प्रस्तुत करता है|
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