English, asked by shivjeetojha63, 11 months ago

nili Kranti ka sambandh hai​

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⏩विश्व मत्स्य दिवस के अवसर पर सरकार ने मछलियों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए देश में नीली क्रांति की शुरुआत करने की बात कही है।

मछली उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में भारत का दूसरा स्थान है और यह विश्व में दूसरा सबसे बड़ा एक्वाकल्चर यानी जल से लाभान्वित होने वाला देश है। भारत में मछुआरों की संख्या लगभग 145 लाख है और तटीय लंबाई 8,118 किलोमीटर है। इसके मद्देनजर भारत विश्व में मछली पालन के क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है। भारत में मछली पकड़ने की 2 लाख नौकाएं हैं। विगत वर्ष देश से 5 अरब डॉलर मूल्य का मछली निर्यात किया गया।

भारत में देश के भीतर अब तक इस्तेमाल नहीं किए गए जल संसाधनों का बहुत बड़ा क्षेत्र है और देश में गुणवत्तापूर्ण मछली बीज की कमी है। इसके अलावा मछलियों के तैयार भोजन की भी कमी है। इस ‘नीली क्रांति’ के अंतर्गत सरकार इन कमियों को पूरा करने पर ध्यान देगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले बजट सत्र में नीली क्रांति अर्थात देश के भीतर मछली पालन की नई योजना की घोषणा की थी। सरकार शीघ्र नीली क्रांति के युग का सूत्रपात करने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत भी करेगी।

विश्व में हालांकि प्रति व्यक्ति वार्षिक मछली खपत 18 किलोग्राम है, जबकि भारत में यह केवल आठ किलोग्राम है। वर्तमान में भारत 95,80,000 मीट्रिक टन मछली उत्पादन करता है जिसमें से 64 प्रतिशत देश के भीतर और 36 प्रतिशत समुद्री स्रोतों से प्राप्त किया जाता है। पिछले वर्ष देश के भीतर मछली उत्पादन की वृद्धि दर 7.9 रही थी।

हमारे देश में मत्स्य क्षेत्र का स्वरूप लघु स्तर का है। इस लघु क्षेत्र के स्वरूप में उत्पादन से उपभोग तक कई पक्ष शामिल हैं। भारत में मछली पालन को आय और रोजगार के सृजन का एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है क्योंकि इससे कई सहायक क्षेत्रों की वृद्धि होती है। देश के भीतर और समुद्री जल से मछली उत्पादन रोजगार का महत्वपूर्ण स्रोत बनता है और यह बढ़ती जनसंख्या के लिए पोषक प्रोटीन प्रदान करता है।

वस्तुतः मानव जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण खाद्यान्न मांग बढ़ रही है, खेती योग्य जमीन सीमित हो रही है और कृषि उत्पादन भी लगभग स्थिर है। अत: खाद्यान्न की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मछली पालन क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण बनती जा रही है। पोषण सुरक्षा में खाद्यान्न का महत्वपूर्ण स्थान है।

कुछ वर्ष पहले तक मछली पालन को केवल पारंपरिक गतिविधि माना जाता था, लेकिन अब यह प्रभावशाली वृदि्ध के साथ व्यावसायिक उद्यम बन गई है। खाद्य कृषि संगठन की 2014 की जारी सांख्यिकी द स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर 2014 के अनुसार वैश्विक मछली उत्पादन 15 करोड़ 80 लाख टन हो गया है और खान-पान के लिए मछली की आपूर्ति में औसत वार्षिक वृद्धि दर 3.2 हो गई है जोकि जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1.6 से अधिक है।⏪

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