History, asked by apurvadas7579, 11 months ago

Nimnalikhit ke bare Mai sanchhep Mai likhiye : a Kulak

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Answered by dgsboro
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उत्तर :  

कुलक :  

कुलक सोवियत रूस के अमीर किसान थे। कृषि के सामूहिकीकरण के  दौरान स्तालिन ने इनका विनाश  कर दिया था।

ड्युमा :  

ड्युमा रूस की राष्ट्रीय  संसद थी।  रूस के जा़र निकोलस द्वितीय ने इसे  सिर्फ  एक सलाहकार समिति में बदल दिया था। इसमें संसद में केवल अनुदारवादी राजनीतिज्ञों को ही जगह दी गई  । उदारवादियों  तथा क्रांतिकारियों को इस संसद में कोई स्थान नहीं दिया गया था।

1900 से 1930 के बीच महिला कामगार :  

रूस के कारखानों में महिला श्रमिकों की संख्या भी पर्याप्त थी । 1914 में यह कुल श्रमिकों की 31 प्रतिशत थी। परंतु उन्हें पुरुष श्रमिकों की अपेक्षा कम मजदूरी दी जाती थी । यह पुरुष श्रमिक की मजदूरी का आधा अथवा तीन चौथाई भाग होती थी।  महिला श्रमिक अपने साथी पुरुष श्रमिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहती थी।

उदारवादी :  

उदारवादी यूरोपीय समाज के वे लोग थे जो समाज को बदलना चाहते थे । वह एक ऐसे राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे जो धार्मिक दृष्टि से सहनशील हो । वे वंशानुगत शासकों की निरंकुश शक्तियों के विरूद्ध थे। वह चाहते थे कि सरकार व्यक्ति के अधिकारों का हनन न करें । वे निर्वाचित संसदीय सरकार तथा स्वतंत्र न्यायपालिका के पक्ष में थे । इतना होने पर भी वह लोकतंत्रवादी नहीं थे । उनका सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार में कोई विश्वास नहीं था । वे महिलाओं को मताधिकार देने के भी  विरूद्ध थे।

स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम :

1929 से स्तालिन की साम्यवादी पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक खेतों में काम करने का आदेश   दिया।  अधिकांश ज़मीन और  सामान को सामूहिक खेतों में बदल दिया गया। सभी किसान सामूहिक खेतों पर मिलजुल कर कार्य  करते थे। सामूहिक खेतों के फायदे

को सभी किसानों के बीच बांट दिया जाता था । स्तालिन के फैसले  से दुखी होकर किसानों ने सरकार का विरोध किया।  विरोध जताने के लिए वे अपने जानवरों को मारने लगे।

इसके  परिणाम स्वरूप 1929 से 1931 के बीच जानवरों की संख्या में एक तिहाई कमी आ गई। सरकार की ओर से सामूहिकीकरण का विरोध करने वालों को कड़ा दंड दिया जाता था । बहुत से लोगों  देश निकाला दे दिया गया। सामूहिकीकरण का विरोध करने वाले किसान यह कहते थे कि वे न तो धनी है और न ही वे समाजवाद का विरोध करते हैं। वह बस कुछ कारणों से सामूहिक खेतों पर काम करना पसंद नहीं करते थे।

सामूहिकीकरण के बावजूद उत्पादन में कोई खास वृद्धि नहीं हुई । इसके विपरीत 1930 - 1933 में फसल खराब होने के बाद सोवियत सबसे बड़ा अकाल पड़ा। इस अकाल में लगभग 40 लाख से अधिक लोग मारे गए।

आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।

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