Nimnalikhit shabdon mein utsav ka alag karke likhiye asafal
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परिचय :
उपसर्गों का प्रयोग नए शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। नए शब्द बनाने के लिए मूल शब्दों के आरंभ में या उनके आगे कुछ शब्दांशों को जोड़ दिया जाता है। इससे मूल शब्द के अर्थ में बदलाव आ जाता है। ऐसे ही शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं।
परिभाषा :
भाषा के वे अर्थवान छोटे-छोटे खंड जो शब्दों में आगे जुड़कर नए शब्द बनाते हैं और उनके अर्थ में बदलाव लाते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।
उदाहरण –
CBSE Class 9 Hindi A व्याकरण उपसर्ग - 1
यहाँ ‘प्र’, ‘आ’, ‘अधि’, ‘अनु’ उपसर्ग हैं।
मूल शब्दों के साथ उपसर्ग का प्रयोग करने से –
(क) नया शब्द बनता है।
(ख) मूल शब्द के अर्थ में बदलाव आ जाता है। कभी-कभी अर्थ में बदलाव न आकर विशेषता आ जाती है।
(ग) उपसर्गों का प्रयोग स्वतंत्र अर्थ में नहीं किया जाता है।
उपसर्गों के प्रकार-हिंदी में चार प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है –
(क) संस्कृत के उपसर्ग
(ख) हिंदी के उपसर्ग
(ग) आगत या विदेशी उपसर्ग
(घ) उपसर्ग के समान प्रयोग होने वाले संस्कृत के अव्यय
( क ) संस्कृत के उपसर्ग-इन उपसर्गों को तत्सम उपसर्ग भी कहा जाता है। ये प्रायः तत्सम शब्दों के साथ प्रयुक्त होते हैं।
संस्कृत के उपसर्ग और उनसे बने शब्द नीचे दिए जा रहे हैं –
CBSE Class 9 Hindi A व्याकरण उपसर्ग - 2
CBSE Class 9 Hindi A व्याकरण उपसर्ग - 3