nimnlikith samasth padhom ka vigrah kijiye aur samaas kaa naam likhiye
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इस लेख में आपको समास ( हिंदी व्याकरण ) से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। जिसमे अर्थ, परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण शामिल हैं। इस विषय पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
समास का अर्थ ‘संक्षिप्त’ या ‘संछेप’ होता है। समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं।
कम से कम दो शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ प्रकट करना समास का लक्ष्य होता है।
जैसे –
‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं।
समास का प्रयोग
संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का बहुतायत में प्रयोग होता है।
जर्मन आदि भाषाओं में भी इस का बहुत अधिक प्रयोग होता है।
समासिक शब्द अथवा पद को अर्थ के अनुकूल विभाजित करना विग्रह कहलाता है।
सरल भाषा में पहचानने का तरीका =>
पूर्व प्रधान – अव्ययीभाव समास
उत्तर पद प्रधान – तत्पुरुष , कर्मधारय व द्विगु
दोनों पद प्रधान – द्वंद समास
दोनों पद प्रधान – बहुव्रीहि इसमें कोई तीसरा अर्थ प्रधान होता है
सामान्यतः समास छह प्रकार के माने गए हैं। १ अव्ययीभाव, २ तत्पुरुष, ३ कर्मधारय, ४ द्विगु, ५ द्वन्द्व और ६ बहुब्रीहि.
१. अव्ययीभाव => पूर्वपद प्रधान होता है।
२. तत्पुरुष => उत्तरपदप्रधान होता है।
३. कर्मधारय => दोनों पद प्रधान।
४. द्विगु => पहला पद संख्यावाचक होता है।
५. द्वन्द्व => दोनों पद प्रधान होते है , विग्रह करने पर दोनों शब्द के बिच (-)हेफन लगता है।
६. बहुब्रीहि => किसी तीसरे शब्द की प्रतीति होती है।
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