niraala ke bhikshuk kavita ke mool bhavna ki sankshipt me spashtikaran
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भिक्षुक कविता का केंद्रीय भाव / मूल भाव
भिक्षुक कविता महाप्राण निराला जी द्वारा लिखी गयी है . प्रस्तुत कविता में कवि एक भिखारी और उसके दो बच्चों की दयनीय अवस्था का वर्णन किया है . भिखारी से पेट और पीठ भुखमरी के कारण एक हो गए है . ... भिक्षुक की दीनता को देख कर कवि उनके प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करता है .
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