Nirgun Kavya Dhara ka introduction and uske types
Answers
Answered by
11
- इस प्रकार इन विभिन्न मतों का आधार लेकर हिंदी में निर्गुण और सगुण के नाम से भक्तिकाव्य की दो शाखाएँ साथ साथ चलीं। निर्गुणमत के दो उपविभाग हुए - ज्ञानाश्रयी और प्रेमाश्रयी। पहले के प्रतिनिधि कबीर और दूसरे के जायसी हैं |
Answered by
0
Answer:
निर्गुण भक्ति/काव्य धारा वह धारा है जिसका अनुसरण करने वाले लोग भक्ति हेतु मूर्ति या किसी वस्तु का उपयोग न करके निराकार रूप में ईश्वर की आराधना करते हैं।
निर्गुण भक्ति/काव्य धारा को दो भागों में बांटा गया है -
(क) संत
(ख) सूफी
Similar questions