Hindi, asked by ishikaaaa07, 5 months ago

Nirmala Kahani ka summary chahiye hindi mein for my oral exam isc 11​

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Answered by 1805060449
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निर्मला, मुंशी प्रेमचन्द द्वारा रचित प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास है। इसका प्रकाशन सन १९२७ में हुआ था। सन १९२६ में दहेजप्रथा और अनमेल विवाह को आधार बना कर इस उपन्यास का लेखन प्रारम्भ हुआ। इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली महिलाओं की पत्रिका 'चाँद' में नवम्बर १९२५ से दिसम्बर १९२६ तक यह उपन्यास विभिन्न किस्तों में प्रकाशित हुआ

महिला-केन्द्रित साहित्य के इतिहास में इस उपन्यास का विशेष स्थान है। इस उपन्यास की कथा का केन्द्र और मुख्य पात्र 'निर्मला' नाम की १५ वर्षीय सुन्दर और सुशील लड़की है। निर्मला का विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति से कर दिया जाता है। जिसके पूर्व पत्नी से तीन बेटे हैं। निर्मला का चरित्र निर्मल है, परन्तु फिर भी समाज में उसे अनादर एवं अवहेलना का शिकार होना पड़ता है। उसकी पति परायणता काम नहीं आती। उस पर सन्देह किया जाता है, उसे परिस्थितियाँ उसे दोषी बना देती है। इस प्रकार निर्मला विपरीत परिस्थितियों से जूझती हुई मृत्यु को प्राप्त करती है।

निर्मला में अनमेल विवाह और दहेज प्रथा की दुखान्त कहानी है। उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज़ प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करता है। निर्मला के माध्यम से भारत की मध्यवर्गीय युवतियों की दयनीय हालत का चित्रण हुआ है। उपन्यास के अन्त में निर्मला की मृत्यृ इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। प्रेमचन्द ने भालचन्द और मोटेराम शास्त्री के प्रसंग द्वारा उपन्यास में हास्य की सृष्टि की है।

निर्मला के चारों ओर कथा-भवन का निर्माण करते हुए असम्बद्ध प्रसंगों का पूर्णतः बहिष्कार किया गया है। इससे यह उपन्यास सेवासदन से भी अधिक सुग्रंथित एवं सुसंगठित बन गया है। इसे प्रेमचन्द का प्रथम ‘यथार्थवादी’ तथा हिन्दी का प्रथम ‘मनोवैज्ञानिक उपन्यास’ कहा जा सकता है। निर्मला का एक वैशिष्ट्य यह भी है कि इसमें ‘प्रचारक प्रेमचन्द’ के लोप ने इसे ने केवल कलात्मक बना दिया है, बल्कि प्रेमचन्द के शिल्प का एक विकास-चिन्ह भी बन गया है।

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