nirmano Ke Pawan Yug Mein is bhavarth is Kavita ka bhavarth
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Answer: भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेई द्वारा रचित यह कविता मानवीय मूल्यों की रक्षा करने के लिए मानव मात्र को सजग रखने का प्रयास करती हैं । कवि द्वारा उद्धृत किया गया है कि विकास की तेज रफ्तार में हम सदाचार का उल्लंघन न कर बैठे । नैतिक मूल्यों का निर्वहन हर परिस्थिति में होना चाहिए |
भावार्थ : कवि के अनुसार यह युग सृजनकारी है । मनुष्य अपनी इच्छापूर्ति के लिए निर्माण की अंधी दौड़ में शामिल हैं | यू इस दौड़ में सम्मिलित होकर वह अपने चरित्र का निर्माण ही न भूल जाए | वस्तुत: स्वार्थ पूर्ति में कई बार हम अपना भला (कल्याण ) ही भुला बैठते है ,ऐसा नहीं होना चाहिए । तदनुसार यह सत्य है कि कठिनाइयों का पारावार नहीं है, संघर्ष अथाह समुद्र की भांति है जिससे पार पाना अत्यंत मुश्किल है किंतु यह देखकर हम अपने साहस का त्याग नहीं कर सकते अर्थात मॅंझधार में नहीं डूब सकते । जटिल समस्याओं को सुलझाने में हम इतने मशगूल न हो जाए कि नवीन खोज का विस्मरण कर बैठे ।
जीवन मूल्य की गरिमा को सतत एवं समग्र रूप से स्थापित करने की जरूरत कवि श्री वाजपेयीजी द्वारा दर्शाइ गई है । अपनी यशरूपी पताका फहराने् की लालसा में हम अपनी संस्कृति को नहीं भुला सकतेे ।
आज आविष्कार समय की तर्ज पर एक आवश्यक प्रक्रिया बन गया है किंतु इसमें सृजनशीलता होना चाहिए अन्यथा ये विज्ञान व्यर्थ सिद्ध हो जाएगा । कवि कह रहे हैं कि हर वो खोज बेकार है जिसमें प्राणीमात्र का कल्याण न सोचा गया हो । भौतिकता की चकाचौंध में हम जीवन का उत्थान न भूलें । तदर्थ निर्माण में हम सदाचार को नित्य स्मरण में रखे । स्वार्थ साधते समय हमें याद रखना चाहिए कि हमारा प्रत्येक कदम हमारी धरती के लिए कल्याणकारी होना चाहिए ।
विशेष : कविता लिखते समय कवि ने एक विशाल गहन तथा व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया है जो मानव मात्र में ईश्वर के अंश की अनुभूति को दृढ़ करते हुए सृष्टि के समस्त चराचर जीवो के प्रति सुहृद भाव को जागृत करता है और प्रत्येक के लिए कल्याणकारी भावनाओं का विस्तार करता है।इसमे भारतीय संस्कृति की "वसुधैव कुटुंबकम " की भावना परिलक्षित होती है |
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