Hindi, asked by sfsfhxj2959, 11 months ago

nirvachan Pranali Mein Dhan ka durupyog in hindi

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Answered by shishir303
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                       निर्वाचन प्रणाली में धन का दुरुपयोग

निर्वाचन प्रणाली में धन का दुरुपयोग आज की एक मुखर समस्या बन गई है। निर्वाचन प्रणाली में  धन-बल का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है और आम व्यक्ति का चुनाव लड़ना और उस चुनाव को जीतना उसकी पहुंच से बाहर होता जा रहा है। चुनाव लड़ना पैसे का खेल बन गया है वही उम्मीदवार चुनाव जीत पा रहे हैं जो ज्यादा से ज्यादा धन पानी की तरह चुनाव में बहाते हैं। इस कारण लोकसभा में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। ऐसे उम्मीदवार जो मध्यमवर्ग या उसे भी नीचे के वर्ग के आते हों, ऐसे उम्मीदवारों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकने लायक रह गयी है।

इन सब के कारण आज की हमारी निर्वाचन प्रणाली जनतंत्र की जगह धन-तंत्र बन गई है। चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर धन के दुरुपयोग को रोकने के प्रयास किए जाते रहे हैं पर यह प्रयास नाकाफी हुए हैं। सारी पार्टियां बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों से बड़े-बड़े, मोटे-मोटे चंदे वसूलती हैं और फिर उसी चंदे की रकम का इस्तेमाल चुनाव लड़ने में व अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने में करती हैं।

पहले जब सादगी से भरे चुनाव होते थे मात्र हजार 1000-2000 में भी कुछ प्रत्याशी लोग चुनाव लड़ लेते थे। अब यह बात दूर की कौड़ी हो गई है। इस व्यवस्था पर, इस प्रवृत्ति पर रोक लगाना आवश्यक हो गया है नहीं तो यह प्रवृत्ति एक दिन प्रजातंत्र के लिए खतरा बन  जायेाग और चुनाव लड़ना केवल कुछ  प्रभावशाली लोगों की कठपुतली बनकर रह जाएगा। उस अवस्था में जनतंत्र ना होकर धनतंत्र कहलायेगा।

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