Nishkam Seva para in Hindi
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दादाश्री: ‘मैं *चंदूभाई हूँ’ करके निष्काम कर्म करने जाओ तो ‘बंधन’ ही है। निष्काम कर्म करने से यह संसार अच्छी तरह से चलता है। वास्तव में निष्काम कर्म, ‘खुद कौन है’ वह नक्की हुए बगैर हो ही नहीं सकता। जब तक क्रोध-मान-माया-लोभ हों, तब तक निष्काम कर्म किस तरह हो सकता है?
खुद ही मानता है कि ‘यह मैं निष्काम कर्म करता हूँ।’ लेकिन वास्तव में उसका कर्ता कोई और ही है। जिस-जिस प्रकार की क्रिया होती है, वह सब ‘डिस्चार्ज’ है। ‘मैं निष्काम कर्म करता हूँ’ ऐसा मानता है, वही सब बंधन है। निष्काम कर्म का कर्ता है तब तक बंधन है।
वह निष्काम कर्म किसे कहते हैं? अपने घर की आय आती है। ज़मीन की आती है, उसके अलावा यह छापाखाना खोला उसमें से मिलेगी। ऐसे, बारह महीनों में बीस-पच्चीस हज़ार मिलेंगे, ऐसा अनुमान लगाकर करने जाएँ, और फिर पाँच हज़ार मिलें तो बीस हज़ार का घाटा हुआ, ऐसा लगता है। और धारणा ही नहीं रखी हो तो? निष्काम कर्म यानी उसके आगे के परिणाम का अनुमान लगाए बगैर करते जाओ। कृष्ण भगवान ने बहुत सुंदर वस्तु दी है, लेकिन किसी से वह हो सकता नहीं न? मनुष्य की बिसात नहीं न! इस निष्काम कर्म को यर्थाथ समझना मुश्किल है। इसलिए तो कृष्ण भगवान ने कहा था कि मेरी गीता का सूक्ष्मतम अर्थ समझने वाला कोई एकाध ही होगा!
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