Hindi, asked by thalal3790, 10 months ago

Nishkriyata manushya ki sabse badi shatru hai, vishay par apne vichar likiye.

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Answered by bhatiamona
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निष्क्रियता मनुष्य की सबसे बड़ी शत्रु है

निष्क्रियता मानव की सबसे बड़ी शत्रु है, इस बात में कोई शंका नहीं होनी चाहिए। निष्क्रियता का अर्थ है कर्महीन होना और किसी मनुष्य के लिए कर्महीन होना किसी अभिशाप से कम नहीं। मनुष्य इस इस संसार में कर्म करने के लिए ही आता है। कर्मठता ही जीवन का नाम है।

जीवन में निरंतर कर्मठ बनके रहने से ही जीवन की सार्थकता सिद्ध होती है और जो लोग कर्महीन जीवन बिताते हैं, निष्क्रिय बने रहते हैं,  उनका जीवन पशु के समान है। इसलिए निष्क्रियता मानव की सबसे बड़ी शत्रु है। कर्महीन ना बनें, कर्मठ बनें, यही मनुष्य के लिए सफलता का और जीवन की सार्थकता का मूल मंत्र है।

अगर हम अपने आसपास देखें है, तो इस सृष्टि में सभी अपने कर्म मे लगे हैं, कोई भी निष्क्रिय नही है। प्रकृति के सारे प्राणी और सारे तत्व अपने-अपने कर्म में लगे हैं। नदी निरंतर बह रही है, पहाड़ निरंतर अचल-अडिग होकर खड़े हैं, हवा निरंतर बहती जा रही है। सूरज रोज उगता है और डूबता है, चंद्रमा अपना कार्य करता है।

पेड़-पौधे अपने कर्मों में लगे हैं और फल-फूल देते रहते हैं। संसार के सभी प्राणी अपने अपने जीवन-यापन के लिए कर्मोद्योग में लगे हैं। मनुष्य के लिए कर्म का मतलब पशुओं की भांति केवल पेट के भरना नहीं। मनुष्यों के लिए कर्म का दायरा बहुत अधिक और विस्तृत है, इसलिए मनुष्य को निष्क्रियता का जीवन जीना एक अभिशाप के समान है अतःनिष्क्रियता मनुष्य की सबसे बड़े शत्रु है।

Answered by mussaddik999
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Answer:

RIGHT HAI BHAI ...........

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