Hindi, asked by addityajha2006, 10 months ago

ऩयशरयाभ ने धनरष तोडने ाारे के पाषम भें ऩूछा तो श्रीयाभ ने
‘धनरष भेये द्ााया टूट गमा ह।’ सीधा उत तय न देकय ऐसा त मों कहा
कक ‘धनरष तोडने ाारा आऩका कोई दास होगा’ ?

Answers

Answered by shishir303
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यह इस प्रश्न में लिपि में कुछ गलतियां हैं, सही प्रश्न इस प्रकार होगा...

परशुराम ने धनुष तोड़ने के बारे में राम से पूछा तो श्री राम ने धनुष मेरे द्वारा टूट गया है ऐसा सीधा उत्तर ना देकर ऐसा क्यों कहा कि धनुष तोड़ने वाला आपका ही कोई दास होगा।

उत्तर —

परशुराम ने धनुष तोड़ने के बारे में जब राम से पूछा कि धनुष किसने तोड़ा तो श्री राम ने धनुष मेरे द्वारा टूट गया है, ऐसा सीधा उत्तर ना देकर धनुष तोड़ने वाला आपका ही कोई दास होगा, ऐसा उत्तर इसलिए दिया क्योंकि श्री राम परशुराम के क्रोध को जानते थे। श्री राम को मालूम था कि परशुराम का स्वभाव अत्यन्त क्रोधी है और क्रोध को केवल विनम्रता से ही शांत किया जा सकता है। परशुराम को यह धनुष शिवजी ने दिया था। उन्हें इस धनुष से उन्हें अत्यंत प्रेम था। इसके टूट जाने पर उनका क्रोध करना स्वाभाविक था।

श्री राम भी यदि उनके क्रोध करने के प्रति उत्तर में गलत करते तो बात बिगड़ सकती थी, और कुछ भी अप्रिय घटना घट सकती थी लेकिन राम ने संयम से काम लिया और परशुराम का क्रोध जानकर अपनी विनम्रता से उनके क्रोध को शांत करने का प्रयत्न किया, इसीलिए उन्होंने धनुष तोड़ने के विषय में सीधा उत्तर ना देकर एवं विनम्रता पूर्वक घुमा फिरा कर उत्तर दिया ताकि परशुराम का क्रोध भड़के नहीं और धीरे-धीरे उनका क्रोध शांत हो जाए

Answered by snehanshydv
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Answer:

जब परशुराम ने धनुष तोड़ने वाले के विषय में पूछा तो श्री राम ने धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास होगा ऐसा इसलिए कहा क्योंकि श्री राम परशुराम के क्रोध से परिचित थे। परशुराम एक अत्यंत क्रोधी ब्राह्मण थे। ... जबकि श्री राम विनम्रता और सहनशीलता से परिपूर्ण थे। वे जानते थे कि विनम्रता से ही क्रोध को शांत किया जा सकता है।

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