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जून माह से शुरू होने वाली वर्षा ऋतु हमें अप्रैल और मई की भीषण गर्मी से राहत दिलाती है। यह मौसम भारतीय किसानों के लिए बेहद ही हितकारी एवं महत्वपूर्ण है। वर्षा के दौरान प्राकृतिक छटा भी दर्शनीय होती है । वर्षा से नहा कर पृथ्वी एक बार पुन: युवा हो जाती है । चारो ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है । बहते पानी की कल-कल हमें बड़ी प्रिय लगती है । जगल में मोर नाचने लगते हैं और पपीहा मधुर रचर में संगीत सुनाता है ।
परिवर्तन प्रकृति का विशेष नियम है। वर्षा ऋतु भी परिवर्तन को दर्शाती है। जिस तरह वसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है, उसी तरह ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। फिर शीत ऋतु आती है। प्रकृति (कुदरत) कभी किसी एक जगह स्थिर नहीं रहती है। यहहमेशा बदलती रहती है। वर्षा ऋतु समय को भी प्रदर्शित करती है। जिस तरह समय हमेशा बदलता रहता है उस तरह मौसम और ऋतुये भी हमेशा बदलती रहती हैं।
वर्षा ऋतु का सौंदर्य देखते ही बनता है। जैसे ही वर्षा शुरू होती है चारों ओर हरियाली छा जाती है, जो आँखों को सुकून पहुँचाती है। हरियाली देखकर पशु पक्षी के साथ मनुष्य भी प्रसन्न हो जाता है। मोर वनों में पंख फैलाकर नृत्य करते हैं। और अपनी खुशी दिखाते हैं।नदियाँ, तालाब, झील पानी से भर जाते है। किसान खेती में लग जाते है। खेतों में धान मक्का गन्ना जैसी फसलें लहलहा उठती हैं। गर्मी से राहत मिलती है। जब मौसम अनुकूल होता है तो काम करना भी आसान हो जाता है।
आम, अमरूद और दूसरे फलों की मिठास बढ़ जाती है। पेड़ पौधों पर नईपौधे सूख रहे होते हैं उनमें नई जान आ जाती है। बच्चे छतों पर जाकर नहाते हैं और वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। वर्षा ऋतु आने पर हाथी जोर जोर से चिघाड़ते हैं।
वे भी वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। विभिन्न प्रकार की चिड़िया चहचहाने लग जाती हैं। पपीहे पी पी और कोयल कू कूकी ध्वनि कर आनंदित होते है।
hope it helps you
Answer:
Explanजून माह से शुरू होने वाली वर्षा ऋतु हमें अप्रैल और मई की भीषण गर्मी से राहत दिलाती है। यह मौसम भारतीय किसानों के लिए बेहद ही हितकारी एवं महत्वपूर्ण है। वर्षा के दौरान प्राकृतिक छटा भी दर्शनीय होती है । वर्षा से नहा कर पृथ्वी एक बार पुन: युवा हो जाती है । चारो ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है । बहते पानी की कल-कल हमें बड़ी प्रिय लगती है । जगल में मोर नाचने लगते हैं और पपीहा मधुर रचर में संगीत सुनाता है ।
परिवर्तन प्रकृति का विशेष नियम है। वर्षा ऋतु भी परिवर्तन को दर्शाती है। जिस तरह वसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है, उसी तरह ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। फिर शीत ऋतु आती है। प्रकृति (कुदरत) कभी किसी एक जगह स्थिर नहीं रहती है। यहहमेशा बदलती रहती है। वर्षा ऋतु समय को भी प्रदर्शित करती है। जिस तरह समय हमेशा बदलता रहता है उस तरह मौसम और ऋतुये भी हमेशा बदलती रहती हैं।
वर्षा ऋतु का सौंदर्य देखते ही बनता है। जैसे ही वर्षा शुरू होती है चारों ओर हरियाली छा जाती है, जो आँखों को सुकून पहुँचाती है। हरियाली देखकर पशु पक्षी के साथ मनुष्य भी प्रसन्न हो जाता है। मोर वनों में पंख फैलाकर नृत्य करते हैं। और अपनी खुशी दिखाते हैं।नदियाँ, तालाब, झील पानी से भर जाते है। किसान खेती में लग जाते है। खेतों में धान मक्का गन्ना जैसी फसलें लहलहा उठती हैं। गर्मी से राहत मिलती है। जब मौसम अनुकूल होता है तो काम करना भी आसान हो जाता है।
आम, अमरूद और दूसरे फलों की मिठास बढ़ जाती है। पेड़ पौधों पर नईपौधे सूख रहे होते हैं उनमें नई जान आ जाती है। बच्चे छतों पर जाकर नहाते हैं और वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। वर्षा ऋतु आने पर हाथी जोर जोर से चिघाड़ते हैं।
वे भी वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं। विभिन्न प्रकार की चिड़िया चहचहाने लग जाती हैं। पपीहे पी पी और कोयल कू कूकी ध्वनि कर आनंदित होते है।
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